अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष की तरफ से प्रमुख पैरोकार इकबाल अंसारी 5 अगस्त को भूमि पूजन (Bhoomi Pujan) कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने बताया कि ऐसा करने का मकसद यह संदेश देना था कि मुस्लिम राम मंदिर के खिलाफ नहीं हैं। आपके पिता हाशिम अंसारी ने अपनी पूरी जिंदगी बाबरी मस्जिद की लड़ाई लड़ते हुए गुजार दी। राम मंदिर के भूमि पूजन में शामिल होकर आपको कैसा लग रहा है? हां, मेरे पिता ने बाबरी मस्जिद की लड़ाई लड़ी। उनकी मौत के बाद मैंने लड़ाई जारी रखी और अयोध्या विवाद मामले में पैरोकार रहा। हम कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निर्णय को स्वीकार करना हमारा कर्तव्य है। मैं राम जन्मभूमि गया, जिसका मकसद यह संदेश देना था कि मुस्लिम राम मंदिर के खिलाफ नहीं हैं। मुस्लिमों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को आप कैसे देखते हैं? सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि मुस्लिमों ने मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को ध्वस्त नहीं किया था। हिंदू भाई खुशी के इस अवसर पर हमारे साथ हैं और हम उनके साथ हैं। प्रधानमंत्री मोदी से आपने क्या कहा? मैं उन्हें रामचरितमानस की प्रति भेंट करना चाहता था। लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से उन्होंने कोई भी गिफ्ट नहीं लिया। हमारे बीच केवल अभिवादन हुआ। उनकी जगह पर राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने किताब को ग्रहण किया। राम मंदिर के बाद मुस्लिमों के लिए क्या है? हिंदुओं की ज्यादातर आबादी सहिष्णु है। राम उनकी आस्था हैं और हम इसका सम्मान करते हैं। मंदिर बनने के बाद दोनों समुदायों के बीच कोई भी टकराव नहीं होगा। इकबाल अंसारी
इकबाल अंसारी