भोपाल। श्री राम मंदिर शिलान्यास के मुद्दे पर मध्यप्रदेश में स्पष्ट रूप से दो कांग्रेस दिखाई दी। पहली दिग्विजय कांग्रेस और दूसरी कमलनाथ कांग्रेस। इनमें से कमलनाथ कांग्रेस राम के रंग में रंगी हुई दिखाई दी। हालांकि भारतीय जनता पार्टी में कमलनाथ के बयान के बाद उन पर करारा तंज भी कस दिया।
राम मंदिर के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी में दरार देखिए
राम के मुद्दे पर भारत में कोई विवाद नहीं है परंतु राम मंदिर के मुद्दे पर 500 साल से विवाद चला आ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राम मंदिर के शिलान्यास के मुहूर्त को गलत बताया। उन्होंने अपना बयान कई बार दोहराया। स्वाभाविक रूप से उनके साथ ही कांग्रेस नेताओं को उनका समर्थन करना चाहिए था परंतु उनके 40 साल पुराने दोस्त पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने उनका साथ देने के बजाय भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की तरह श्री राम मंदिर शिलान्यास अवसर पर धूमधाम के साथ जश्न मनाया। विवाद राम मंदिर नहीं है बल्कि दरार यह है कि कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह को अपने आयोजन में शामिल तक नहीं किया।
कमलनाथ राम मंदिर के लिए राजीव गांधी का नाम जप रहे थे, शाम को भाजपा ने करारा तंज कसा
कमलनाथ 40 साल से मध्यप्रदेश में राजनीति कर रहे हैं। धार्मिक कार्यक्रमों में उनकी रूचि और उत्साह ऐसा कभी नहीं दिखाई दिया जैसा कि आज दिखाई दिया। वह न केवल उत्सव मना रहे थे बल्कि राम मंदिर के लिए बार-बार राजीव गांधी का नाम जप रहे थे। इस बहाने वह शायद यह जताने की कोशिश कर रहे थे कि राम मंदिर के निर्माण में कांग्रेस पार्टी का भी योगदान है। शाम को जब उन्होंने प्रेस के सामने आकर कहा कि यदि कोई श्री राम मंदिर का श्रेय लेना चाहता है तो यह गलत होगा, भारतीय जनता पार्टी ने भी करारा पलटवार किया। कैबिनेट मंत्री श्री विश्वास सारंग ने कहा कि यदि कमलनाथ जवानी के दिनों में भगवा ओढ़ लेते तो उन्हें आज यह दिन नहीं देखना पड़ता। श्री सारंग ने याद दिलाया कि राहुल गांधी का जनेऊ भी कुछ इसी तरह का आयोजन था। यह लोग सिर्फ चुनावी हिंदू हैं।