लालगेट स्थित वीनस अस्पताल में डेढ़ साल से आरएमओ रहे 35 वर्षिय डॉ. हितेश लाठिया की कोरोना वायरस से मौत हो गई। वह 20 दिन पहले बीमार हुए थे। बुखार के बाद उन्हें सांस की समस्या थी। चार-पांच दिन होम क्वारेंटाइन में इलाज चला। बाद में उनका ऑक्सीजन लेबल 85 से 90 तक पहुंच गया। तबीयत बिगड़ी तो उन्हें विनस अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां वह 4 दिन वेंटिलेटर पर रहे और 5 दिन एडवांस ईसीएमओ मशीन पर रहे। लेकिन, कोई सुधार नहीं आया। हालत लगातार बिगड़ती गई। सांस की समस्या बढ़ती गई। मंगलवार को तबीयत अधिक खराब हुई। रिस्पॉन्स बन्द हो गया था। शाम को डॉक्टरों ने उन्हें डेड घोषित कर दिया।
कोरोना वारियर्स डॉ. हितेश को तिरंगा में लपेट भावभीनी अंतिम विदाई दी गई। मूल भावनगर निवासी और सूरत के वराछा में रहने वाले डॉ. हितेश वीनस अस्पताल में आरएमओ की पोस्ट पर थे। वह बीएचएमएस थे। वीनस अस्पताल के डॉ. नीरज ने बताया कि वह कोमोरबिड भी नहीं थे। कहां गड़बड़ी हुई पता नहीं चला। शुरू में ही उन्हें बुखार आया या फिर इलाज देर से शुरू हुआ। पर अस्पताल में आने के बाद से ही उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। अस्पताल ने इलाज में सभी सावधानी बरती गई। यहां तक कि जब वेंटिलेटर पर रिस्पॉन्स नहीं मिला तो अस्पताल के ट्रस्टी सेवंती भाई शाह ने ईसीएमयो मशीन भी मंगवाया। उनका लंग्स 60 से 65 फीसदी इन्फेक्टेड हो गया था। बीच में इस मशीन से एक्सरे में कुछ सुधार देखने को मिला था पर दो तीन दिन में फिर केस बिगड़ गया।
ऐसे केस बिगड़ा: डॉक्टर होकर भी गंभीरता नहीं समझी
- कोरोना के लक्षण आने के बाद भी कुछ दिन अनदेखा किया और होम आइसोलेट हो गए।
- 4 से 5 दिन तक घर पर ही इलाज लिया, किस तरह का इलाज लिया या नहीं लिया, उस पर संशय है।
- 55 फीसदी लंग्स इंफेक्शन होने के बाद अस्पताल पंहुचे, यह डॉक्टर को पता ही नहीं चला।
- इंफेक्शन होने के बाद भी सिमटम उतने नहीं आए, जिससे उन्हें तकलीफ महसूस होती।
- ऑक्सीजन लेबल घर पर ही 85 तक पहुंच गया और इसकी गंभीरता नहीं समझी। संशय है कि उनका समय-समय पर ऑक्सीजन नहीं मापा गया।
- अस्पताल आते ही ऑक्सीजन पर चले गए 3 दिन तक ऑक्सीजन पर रहे। यहां प्रति मिनट 12 से 14 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही थी। जो अच्छे संकेत नहीं थे। इस बीच रैमडीसिविर और टाॅसिलिजुमैब इंजेक्शन दिया जो बेअसर साबित हुआ।
- ऑक्सीजन पर बात नहीं बनी तो तीन दिन बाद वेंटिलेटर पर रखा, लंग्स इंफेक्शन 60% तक हो गया।
- 4 दिन तक वेंटिलेटर पर रहे, फिर 5 दिन ईसीएमओ पर रहे। लंग्स इंफेक्शन 60 से 70 फीसदी हो गया। ऑक्सीजन की कमी से ब्रेनडेड हो गए।
राहत की खबर: पहली बार नए केस डिस्चार्ज मरीजों से कम हुए, 350 मरीज एक ही दिन डिस्चार्ज
पहली बार नए केस के मुकाबले डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की संख्या अधिक रही। शहर के लिए यह एक अच्छी खबर है, जाे काेराेना काल में पहली बार देखने काे मिली। बुधवार काे एक साथ 350 मरीज डिस्चार्ज हुए, जबकि 237 नए मरीज सामने आए। इसमें 50 मरीज ग्रामीण क्षेत्र के हैं। इस तरह अब तक कोरोना वायरस के 14902 मामले में आ चुके, जिसमें 2924 केस ग्रामीण के हैं। डिस्चार्ज हुए 350 मरीजों में से 87 मरीज ग्रामीण के हैं।
इस तरह अब तक 10,671 मरीज ठीक हो कर घर जा चुके हैं। वहीं शहर में 6 मरीजों की मौत हुई है। इसके साथ ही मौत का आंकड़ा 649 पहुंच गया। इसमें 125 माैत ग्रामीण के हैं। पिछले एक माह से मौत का रेशियो भी कम हुआ है। एक माह से एवरेज 12 मौत प्रति दिन हो रही थी।