नई दिल्ली। कांग्रेस (Congress) के भीतर अंदरूनी सियासी घमासान दिनोंदिन तेज होता जा रहा है। यूपीए काल की खामियों का हवाला देकर हमला बोलने वाली राहुल ब्रिगेड के खिलाफ पुराने कांग्रेसी दिग्गजों ने भी मोर्चा संभाल लिया है। राहुल ब्रिगेड के सामने मनीष तिवारी (Manish Tewari) के साथ ही अब शशि थरूर (Shashi Tharoor) और मिलिंद देवड़ा (Milind Deora) सरीखे नेता भी आ गए हैं। वहीं युवा बिग्रेड के मुखर चेहरे राजीव सातव (Rajiv Satav) ने भी शायरी के जरिए बुजुर्ग बनाम नई पीढ़ी की लड़ाई में पूरी ताकत से डटे रहने का संदेश दिया है।
कांग्रेस संगठन के मौजूदा स्वरूप में बदलाव से लेकर आगे की दशा-दिशा तय करने पर छिड़ी जंग से साफ है कि पार्टी का घमासान बेहद गंभीर मोड़ ले रहा है। संगठन को उर्जावान और लड़ाकू बनाने की दलील के साथ पुराने नेताओं को किनारा करने की टीम राहुल की गतिविधि पर पार्टी अंदरखाने दो फाड़ है। यूपीए की विरासत पर पार्टी के भीतर से ही कीचड़ उछालने के खिलाफ मनीष तिवारी की मुखर आवाज में शशि थरूर और मिलिंद देवड़ा का सुर मिलना यही साबित करता है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने शुक्रवार को साल 2014 ही नहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में हुई हार का विश्लेषण करने का सवाल उठाने के सिलसिले को जारी रखते हुए शनिवार को ट्वीट कर यूपीए सरकार पर कांग्रेस के भीतर से ही कीचड़ उछालने वालों को आड़े हाथों लिया। तिवारी ने कहा 'भाजपा 2004-14 तक 10 साल सत्ता से बाहर थी। इन वर्षों में उसने एक बार भी वाजपेयी या उनकी सरकार पर इसके लिए दोषारोपण नहीं किया लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस के भीतर ही कुछ सतही जानकार लोग भाजपा-एनडीए से लड़ने की बजाय मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं।'
युवा बनाम बुजुर्ग लामबंदी के बीच कांग्रेस
तिवारी का बयान साफ तौर पर टीम राहुल की अगुआई कर रही युवा ब्रिगेड पर सीधा हमला है। सोनिया गांधी की अध्यक्षता में गुरुवार को पार्टी के राज्यसभा सांसदों की बैठक में युवा बिग्रेड ने कांग्रेस की बदहाली के लिए यूपीए दौर पर सवाल उठाए थे तब एके एंटनी, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा और पी चिदंबरम सरीखे नेताओं ने इससे असहमति जताई थी। कई वरिष्ठ नेताओं ने कहा था कि युवा बनाम बुजुर्ग जैसी सोच से पार्टी को चलाने की कोशिश खतरनाक होगी और सामंजस्य के रास्ते ही कांग्रेस की सियासी राह बनेगी।
तिवारी के समर्थन में उतरे मिलिंद देवड़ा
तिवारी के ट्वीट का आखिरी हिस्सा 'जब एकजुटता की जरूरत है वे बांट रहे हैं' भी सीधे तौर पर टीम राहुल पर निशाना साधने वाले हैं। कांग्रेस की मौजूदा कार्यशैली पर कुछ अर्से से मुखर और टीम राहुल का हिस्सा रहे मिलिंद देवड़ा ने भी मैदान में उतरते हुए कहा कि मनीष तिवारी ने सही बात कही है। उन्होंने कहा कि डा मनमोहन सिंह ने 2014 में सत्ता छोड़ी तब कहा था कि इतिहास उनके साथ उदारता बरतेगा लेकिन क्या उन्होंने यह कल्पना की होगी कि अपनी पार्टी के लोग ही उनकी ही उपस्थिति में देश के लिए की गई उनकी सेवाओं को खारिज कर देंगे।
शशि थरूर ने भी खोला मोर्चा
पार्टी के इस घमासान में उतरते हुए शशि थरूर ने भी ट्वीट कर तिवारी और देवड़ा का समर्थन किया। साथ ही कहा कि यूपीए के बदलावकारी दस साल को दुर्भावना से प्रेरित होकर दुष्प्रचारित किया गया। थरूर ने कहा कि अपनी हार से बहुत कुछ सीखने के साथ कांग्रेस को पुर्नजीवित करने के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है लेकिन अपने वैचारिक शत्रुओं के हाथ का खिलौना बनकर ऐसा नहीं किया जा सकता।
युवा बिग्रेड भी आर-पार के लिए तैयार
यूपीए की विरासत पर सवाल उठाने के खिलाफ नेताओं के मुखर होने से साफ है कि राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में वापसी के लिए उनके हिसाब से रोडमैप बनाने की कोशिश में जुटी युवा बिग्रेड की राह आसान नहीं है। हालांकि सातव ने भी एक शायरी 'मत पूछ मेरे सब्र क इन्तेहा कहां तक है, तूं सितम कर ले, तेरी ताकत जहां तक है, वफा की उम्मीद जिन्हें होगी, उन्हें होगी, हमें तो देखना है, तू जालिम कहां तक है' के जरिए साफ संदेश दिया कि राहुल की युवा बिग्रेड भी इस अंदरूनी घमासान में आर-पार के लिए तैयार है।