अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शुरुआत होने के साथ जबलपुर निवासी एक बुजुर्ग महिला की तपस्या भी पूरी होने वाली है। वे 28 साल से राम नाम का जप करते हुए उपवास कर रही हैं। उनका संकल्प था कि राम मंदिर बनेगा तभी उनका उपवास टूटेगा। संकल्प के तहत उन्होंने अन्न का त्याग कर रखा था। वे फलाहार ले रही हैं। आखिरकार 81 साल की उम्र में उनकी तपस्या पूरी हो रही है। अब वे अयोध्या में ही अन्न ग्रहण करने की बात कर रही हैं।
जबलपुर के विजय नगर में रहने वाली उर्मिला चतुर्वेदी की उम्र के साथ सुनने और देखने की क्षमता कमजोर हो गई, लेकिन हौसला नहीं। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या का विवादित ढांचा ढहने और देश मे दंगे हुए तो इससे आहत होकर ही उर्मिला ने संकल्प लिया था कि जिस दिन सबकी सहमति से मंदिर निर्माण शुरू होगा उस दिन वे अन्न ग्रहण करेंगी, जो अभी भी बरकरार है। उस वक्त उर्मिला की उम्र करीब 53 साल थी। शुरुआत में लोगों ने खूब समझाया और मनाया भी, लेकिन उनका संकल्प अडिग रहा। उनका भोजन फल और दूध ही रहा। जब सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्म भूमि के पक्ष में फैसला सुनाया तब उर्मिला चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को फैसले के लिए बधाई संदेश भी भेजा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा था।
राम मंदिर का भूमि पूजन मेरे पुनर्जन्म जैसा
5 अगस्त को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में मंदिर की नींव रखेंगे, उस वक्त दिनभर उर्मिला घर पर रामनाम का जाप करेंगी। उन्होंने कहा कि पूजन में शामिल नहीं हो पाने से वे दुखी हैं, लेकिन इसे वे राम की इच्छा मानकर संतोष करती हैं। उनके अनुसार, राम मंदिर का भूमिपूजन मेरे पुनर्जन्म जैसा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस अवसर को कोरोना वायरस की समाप्ति से जोड़कर अंधविश्वास फैला रहे हैं। उर्मिला की इच्छा है कि अयोध्या में रामलला के दर्शन करके ही वे अपना संकल्प खोलें। हालांकि ऐसा मुमकिन होता नहीं दिख रहा, क्योंकि 5 अगस्त को अयोध्या में किसी भी बाहरी का जाना मना है। ऐसे में परिवार का कहना है कि घर पर बैठकर कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट देखने के बाद इनका संकल्प पूरा कराने की कोशिश की जाएगी।
बाकी जीवन अयोध्या में बिताना चाहती हैं उर्मिला
राम का नाम जपते हुए पिछले 28 सालों से बिना अन्न के जीवन बिता रही उर्मिला चतुर्वेदी का कहना है कि उनका बहुत मन था कि भूमिपूजन वाले दिन वो अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करें। लेकिन सबने कहा है कि ये मुमकिन नहीं है क्योंकि वहां सिर्फ आमंत्रण मिलने पर ही जाया जा सकता है। उर्मिला का कहना है कि उनका संकल्प तो पूरा हो ही गया अब उनकी बस इतनी इच्छा है कि अयोध्या में थोड़ी सी जगह मिल जाए ताकि बाकी जीवन वो वहां बिता सकें। उर्मिला चतुर्वेदी की इस साधना और तपस्या में परिवार जनों ने भी भरपूर सहयोग किया। सालों की तपस्या के बाद अब जब इस वृद्ध राम भक्त उर्मिला चतुर्वेदी का सपना साकार हो रहा है तो उनके परिजन भी खासे उत्साहित तो हैं ही साथ ही वे चाहते हैं कि अब जल्द से जल्द वे अनाज ग्रहण करना शुरू कर दें।