देशभर में मनाया जा रहा है ईद का त्योहार, पीएम मोदी और राष्ट्रपति कोविंद ने भी दी मुबारकबाद

Posted By: Himmat Jaithwar
8/1/2020

नई दिल्ली: 

आज देश और दुनियाभर में मनाए जा रहे है ईद-उल-अजहा के त्योहार पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई नेताओं ने देशवासियों को मुबारकबाद पेश की. राष्ट्रपति कोविंद ने तो आज अपना बधाई संदेश उर्दू में लिखा. इसके साथ ही उन्होंने हिंदी में भी संदेश देते हुए देशावासियों को भाईचारे और त्याग की भावना प्रदान करने वाले  त्योहार पर शुभकामनाएं देते हुए कोविड को लेकर भी सतर्क रहने के लिए कहा. राष्ट्रपति कोविंद ने अपने ट्वीट में लिखा. "ईद मुबारक,  ईद-उल-जुहा का त्‍योहार आपसी भाईचारे और त्‍याग की भावना का प्रतीक है तथा लोगों को सभी के हितों के लिए काम करने की प्रेरणा देता है. आइए, इस मुबारक मौके पर हम अपनी खुशियों को जरूरतमंद लोगों से साझा करें और  कोविड-19 की रोकथाम के लिए सभी दिशा-निर्देशों का पालन करें. "



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों को ईद के मुबारक मौके पर बधाई दी. पीएम मोदी ने अपने संदेश में लिखा. "
ईद उल अजहा पर बधाई, यह दिन हमें एक न्यायपूर्ण, सामंजस्यपूर्ण और समावेशी समाज बनाने के लिए प्रेरित करता है. भाईचारे और करुणा की भावना को आगे हमेशा बनी रहे"

ईद-उल-अजहा का त्योहार ईद की नमाज़ के साथ शुरू होता है, सभी मुस्लिम पुरुष मस्जिदों या ईद गाह में ईद की नमाज अदा करते हैं. ईद की नमाज के बाद कुर्बानी का सिलसिला शुरू होता है. हालांकि, इस साल कोरोनावायरस के चलते लोगों को अपने घरों में ही ईद की नमाज अदा करनी होगी. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, धू-अल-हिज्जा की 10 तारीख को बकरीद (Bakrid 2020) मनाई जाती है.

बकरीद पर कुर्बानी का महत्व
इस्लाम धर्म में बकरीद का खास महत्व है. इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, अल्लाह  ने हज़रत इब्राहिम की परीक्षा लेने के लिए उनसे उनकी सबसे प्यारी और अज़ीज़ चीज़ की कुर्बानी देने के लिए कहा था. हज़रत इब्राहिम के लिए सबसे अज़ीज़ और प्यारे उनके बेटे हज़रत ईस्माइल ही थे. लेकिन हज़रत इब्राहिम ने बेटे के लिए अपनी मुहब्बत के बजाए अल्लाह के हुक्म को मानने का फैसला किया और अपने बेटे को अल्लाह के लिए कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए. कहा जाता है कि जब हज़रत इब्राहिम के बेटे हज़रत ईस्माइल को इस बारे में पता चला तो वे भी कुर्बान होने के लिए राज़ी हो गए. हज़रत इब्राहिम ने आंखें बंद करके जैसे ही अपने बेटे की गर्दन पर छुरी चलाई तो अल्लाह ने उनके बेटे की जगह दुंबा भेज दिया. इस तरह उनके बेटे बच गए और दुंबा कुर्बान हो गया. इसके बाद से ही अल्लाह की राह में कुर्बानी देने का सिलसिला शुरू हो गया. 



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