सिंहस्थ-2016 के पीएचई टंकी घोटाले से जुड़े श्रीवास्तव को फिर ईई का प्रभार दिया

Posted By: Himmat Jaithwar
7/31/2020

सिंहस्थ 2016 के कामों में घोटालों से जुड़े दूसरे अधिकारी की शहर में वापसी हुई है। यह है पीएचई के ईई आरके श्रीवास्तव। उन्हें उज्जैन मंडल का अस्थायी प्रभार सौंपा है। ये पीएचई के टंकी घोटाले से जुड़े हैं। इसके पहले नगर निगम में एई पीयूष भार्गव की वापसी हो चुकी है, जिन पर शौचालय घोटाले के आरोप हैं। इन मामलों की ईओडब्ल्यू में जांच चल रही हैं। श्रीवास्तव को अधीक्षण यंत्री राजीव खुराना ने संधारण खंड उज्जैन का प्रभार अस्थायी रुप से सौंपा है। इस पद पर आसीन ईई धर्मेंद्र वर्मा की अधिवार्षिकी (सेवा निवृत्ति) आयु पूर्ण होने पर उनके स्थान पर श्रीवास्तव को प्रभार दिया गया है। सिंहस्थ में श्रीवास्तव ईई रहे हैं। उनके कार्यकाल में सिंहस्थ टंकी घोटाला हुआ था। सिंहस्थ में साधु संतों के पंडालों में लगाने के लिए मंगाई गई पीवीसी टंकियों में से 535 टंकियां और 435 स्टैंड फिर से स्टोर में नहीं पहुंचे थे। स्टोर के रिकॉर्ड में टंकियों व स्टैंड की खरीदी के बिल तो लगे मिले लेकिन स्टोर में इन टंकियों की इंट्री नहीं हुई और न ही वापसी दर्ज मिली। 2017 में यह मामला सामने आया। उस समय तत्कालीन ईई धर्मेंद्र वर्मा ने ही पूरे मामले की विभागीय जांच कराई थी। तत्कालीन तराना विधायक अनिल फिरोजिया ने यह मामला विधानसभा में उठाया था। तब विधानसभा स्तर पर जांच के आदेश दिए थे। संभागायुक्त ने भी जांच कराई थी। 2019 में तराना के ही विधायक महेश परमार ने ईओडब्ल्यू में इसकी शिकायत की थी। ईओडब्ल्यू टीम ने 18 जनवरी 2019 को गऊघाट स्थित पीएचई के स्टोर पर जांच की थी। टीम ने टंकियों और स्टैंड की गिनती के साथ प्रकरण से जुड़े दस्तावेज जब्त किए थे तथा पीएचई एई अतुल तिवारी, स्टोर प्रभारी मिथलेश त्रिवेदी के बयान भी लिए थे।

90 लाख रुपए के घोटाले की आशंका
सिंहस्थ में साधु संतों के पंडालों में पीवीसी टंकियां मय स्टैंड के लगाई गई थीं। सिंहस्थ के बाद यह सामग्री पीएचई स्टोर में जमा होना थी। लेकिन स्टोर के रिकार्ड में 635 टंकियों की खरीदी में से 535 टंकी व 435 स्टैंड जमा नहीं होना पाया गया। स्टोर में लगे बिलों के आधार पर इनकी कीमत 90 लाख रुपए आंकी गई।
जांच में वित्तीय अनियमितता भी

  • खरीदी में शर्तों की जानबूझ कर अनदेखी की गई।
  • कर्तव्यों के पालन में गंभीर त्रुटि पाई गई।
  • भुगतान की प्रक्रिया संदिग्ध है।
  • वित्तीय अनियमितता पाई गई।
  • विधानसभा को गलत जानकारी दी गई।
  • सिविल सेवा आचरण नियम के तहत यह कदाचरण की श्रेणी में आता है।

सवाल- क्या जांच प्रभावित होगी?
यह पूरा मामला ईई श्रीवास्तव के ईई रहते हुआ है। वे भी इस मामले में आरोपों के घेरे में रहे हैं। प्रकरण जांच के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में श्रीवास्तव को फिर उसी पद पर नियुक्त करने से क्या जांच प्रभावित नहीं होगी? यह भी आशंका है कि पद मिलते ही श्रीवास्तव मामले के दस्तावेजों में हेराफेरी कर सकते हैं।

उपयंत्री निलंबित, 15 कर्मचारी व 6 ठेकेदारों के बयान
विभागीय जांच के दौरान सिंहस्थ में उपयंत्री रहे मुकेश गर्ग को निलंबित कर दिया था। उन्हें 14 बिंदुओं का आरोप पत्र दिया है। संभागायुक्त जांच में पीएचई के 15 कर्मचारियों और 6 ठेकेदारों के बयान भी दर्ज किए थे। पीएचई कर्मियों में ईई आरके श्रीवास्तव, एई अतुल तिवारी, उपयंत्री रवि हरणे, मिथलेश त्रिवेदी, रमेशसिंह रघुवंशी थे। ठेकेदारों में इंदौर के विपन कांट्रेक्टर, शेल्टर बिल्डर्स, देवास के एमएस कंसलटेंट, उज्जैन के पीएमबीएस ट्रेडर्स, बलवीर ठाकुर, विश्वकर्मा पाइप फिटिंग हैं। इधर ईई श्रीवास्तव को अस्थायी प्रभार देने वाले पीएचई के अधीक्षण यंत्री राजीव खुराना का कहना है कि धर्मेंद्र वर्मा की जगह तत्काल किसी अन्य ईई को प्रभार देने के आदेश वरिष्ठ अधिकारियों के हैं, इसलिए दो-तीन दिन के लिए आरके श्रीवास्तव को प्रभार दिया है। नियमित ईई की नियुक्ति राज्य शासन से होने वाली है। तब तक काम प्रभावित न हो इसलिए प्रभारी नियुक्त किए हैं। इससे जांच प्रभावित होने की आशंका नहीं है।



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