विश्व प्रसिद्ध खजराना गणेश को इस बार रक्षाबंधन पर अष्टधातु की राखी बांधी जाएगी। हर साल की तरह इस साल भी पालरेचा परिवार ने यह राखी तैयार की है। रखी खजराना गणेश के साथ ही बाबा महाकाल को समर्पित की जाएगी। इस साल भी राखी का विषय पौराणिक है। अष्ट धातु से बनी 40 इंच की राखी में हीरे, मोती के साथ कई रत्न जड़े हुए हैं। खजराना गणेश, महाकाल के साथ ही वीर बगीची, बड़ा गणपति सहित अन्य मंदिरों में चढ़ाई जाएगी।
पुण्डरीक और शान्तु पालरेचा ने बताया कि यह पूरी तरह से अष्टधातु से बनी है और भगवान सूर्य नारायण की आकृति बनी है। देश में जो वैश्विक महामारी फैली है उसी को ध्यान में रखते हुए हमने भगवान सूर्य नारायण की राखी तैयार की है। इस राखी से देशभर में यह संदेश भी दिया जाएगा कि जिस प्रकार अंधेरा होने पर अगले दिन फिर उजाला होता है, ठीक उसी प्रकार देश और शहर से यह वैश्विक बीमारी भी खत्म होगी और देश एक बार फिर अपनी आर्थिक स्थिति में मजबूत होगा। खजराना गणेश को रक्षाबंधन के दिन बंधने वाली इस विशाल राखी के साथ ही पालरेचा परिवार देश और शहर में फैली इस वैश्विक महामारी से उभरने अौर जनजीवन फिर से अपने स्वरूप में आए, इसके लिए भी मंगल कामना करेगा। वहीं, कोरोना महामारी को देखते हुए यह राखी मंदिर के पुजारियों को भेंट की जाएगी और मंदिर के पुजारी ही इसे भगवान को चढ़ाएंगे।
पालरेचा परिवार ने बताया कि रक्षाबंधन पर खजराना गणेश को बंधने वाली इस 40 बाय 40 साइज की राखी अष्ट धातु से निर्मित है। जिसमें भगवान सूर्य नारायण को 12 ज्योतिर्लिंग के साथ दर्शाया गया है। इस राखी की विशेषता यह है कि इसमें सौराष्ट्र (पालीताणा) के कलाकारों के साथ - साथ पालरेचा परिवार के बच्चों से लेकर बड़े तक ने काम किया है। भगवान सूर्य नारायण की अष्टधातु की राखी में सोना, चांदी, तांबा, पीतल, जस्ता के साथ-साथ नग-नगीने भी लगाए गए हैं। वहीं, भगवान सूर्य की किरणों के लिए राखी पर जरी का इस्तेमाल किया गया है।
2 महीने का समय लगा बनाने में
खजराना गणेश को बांधी जाने वाली राखी को तैयार करने में 2 महीने से ज्यादा का समय लगा है। जिसमें 10 से 12 लोगों ने इस राखी को बनाया है। पुण्डरीक पालरेचा ने बताया कि राखी को तैयार करने में परिवार के एक-एक सदस्य ने 3-3 घंटे से अधिक समय दिया। शान्तु पालरेचा ने बताया कि 18 सालों से रक्षाबंधन पर खजराना गणेश और अन्य मंदिरों में यह राखी बांधने की परंपरा आज तक जारी है। खजराना गणेश मंदिर के साथ-साथ पंचकुइया स्तिथ वीर बगीची, महाकाल उज्जैन, मुंबई सीधी विनायक, बड़ा गणपति मंदिर सहित शहर के मंदिरों में यह राखी बांधने की परंपरा जारी है।