सावन के चौथे सोमवार को भी बाबा महाकालेश्वर प्रजा का हाल जानने नगर भम्रण पर निकले। सवारी शाम 4 बजे मंदिर परिसर में पूजन-अर्चन के बाद रवाना हुई। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। पालकी में भगवान के मनमहेश स्वरूप के दर्शन हुए। हाथी पर भगवान के चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में दर्शन हो रहे थे। नए मार्ग से होते हुए सवारी शिप्रा तट पर पहुंची, जहां बाबा का जलाभिषेक किया गया।
सोमवार शाम 4 बजे बाबा की सवारी पूजन-आरती के बाद मंदिर से रवाना हुई। हरसिद्धि चौराहा, नृसिंहघाट मार्ग होकर सवारी रामघाट पहुंची। यहां पूजन आरती के बाद सवारी रामघाट से रवाना होकर रामानुजकोट, हरसिद्धि चौराहा होते हुए वापस मंदिर पहुंचेगी। बाबा की सवारी में भक्त भले ही शामिल नहीं हो सकते, लेकिन उन्हें जहां से मौका मिल रहा है वे वहीं से बाबा के दर्शन कर रहे निकले।
इस बार मनमहेश और चंद्रमौलेश्वर स्वरूप के ही दर्शन
मंदिर में भगवान के चांदी से निर्मित 8 स्वरूप हैं। 7 स्वरूप काफी पुराने हैं। जटाशंकर स्वरूप नया है। भगवान के इन स्वरूपों को श्रावण-भादौ, कार्तिक, दशहरा, वैकुंठ चतुर्दशी की सवारियों के दौरान तथा उमा-सांझी उत्सव व शिवरात्रि पर भी शृंगारित किया जाता है। इनमें होल्कर, घटाटोप, सप्तधान्य, तांडव, उमा-महेश, मनमहेश, चंद्रमौलेश्वर स्वरूप शामिल हैं।
श्रावण के 5 व भादौ के 2 सोमवार को सवारी
पहली, दूसरी व तीसरी सवारी निकल चुकी। चौथी सवारी आज निकली। पांचवी 3 अगस्त तथा भादौ में छठी सवारी 10 अगस्त एवं प्रमुख सवारी 17 अगस्त को निकलेगी।