इस बार जुलाई ने एक नया रिकाॅर्ड कायम किया है। पिछले एक दशक में ऐसा पहली बार हुआ है, जब मानसून के सक्रिय दिनों में बारिश बरसाने वाला कोई सिस्टम ही नहीं बना। जुलाई के बचे हुए 10 दिनो में भी मानसून सक्रिय होने के आसार नहीं है। 10 सालों में दूसरी बार इतना कमजोर जुलाई आया है। ठीक 10 साल पहले 2001 का जुलाई ऐसा था तब महज 4 इंच पानी गिरा था। इस बार जुलाई में पाैने छह इंच ही बारिश हुई है, जबकि औसत बारिश साढ़े 8 इंच होती है। शहर में मानसून आने की तारीख 15 जून ही मानी जाती है।
हालांकि पिछले 10 सालों में एेसा चौथी बार हुआ है जब मानसून तय समय पर आया है। इसके पहले 2012 में 3 जून, 2013 और 14 में 10 और 2015 में 14 जून को मानसून घोषित हुआ था। एक संयोग यह भी है कि 2012 और 14 में समय पर मानसून आने के बाद भी बारिश क्रमश: 32 और 33 इंच ही हुई थी। यानी कि औसत से 1 इंच कम। इस बार भी समय पर मानसून के बावजूद बारिश नहीं हो रही। औसत बारिश तक पहुंचने के लिए 24 इंच की दरकार है।
दिन के तापमान में और इजाफा
मंगलवार को अधिकतम तापमान 32.1 डिग्री होकर सामान्य से 2 डिग्री अधिक रिकाॅर्ड किया गया। सोमवार को पारा 31.7 डिग्री था। सुबह के वक्त हल्के बादल थे। 9 बजने तक आसमान पूरी तरह साफ हो गया। हालांकि बीच-बीच में बादलों की वजह से धूप से निजात मिलती रही। सोमवार रात को न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री दर्ज हुआ जो सामान्य रहा।
क्यों नहीं बरस रहा पानी
मौसम विशेषज्ञ डाॅ. डीपी दुबे का कहना है कि बारिश इंदौर सहित प्रदेशभर में कमजोर है। इसका कारण यह कि प्रदेश में करीब 75% बारिश बंगाल की खाड़ी में सिस्टम बनने से होती है। इस बार खाड़ी में कोई हलचल नहीं है। सिर्फ 1 और 6 जून को खाड़ी में सिस्टम बनने से तेज बारिश हुई थी। जुलाई में तो एक भी सिस्टम नहीं बना।
कहीं-कहीं बारिश क्यों
अरब सागर के सिस्टम का असर उज्जैन, रतलाम तरफ हो रहा है। इंदौर में एयरपोर्ट, मांगलिया, देपालपुर तक बादल आकर ठहर जाते हैं। इसी कारण पूरे शहर में बारिश नहीं होती।