पूर्वी लद्दाख के गलवान इलाके में पैट्रोलिंग पॉइंट 14 पर हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों की हत्या चीन की एक गहरी और सोची समझी साजिश का हिस्सा थी। यह चीनी सैनिकों को इस इलाके में तैनात करने और दक्षिण एशियाई देशों के क्षेत्र पर दावा करने की एक कोशिश थी। यूएस न्यूज और वर्ल्ड रिपोर्ट को प्राप्त हुए कुछ दस्तावेज में यह खुलासा हुआ है।
अमेरिकी समाचार के राष्ट्रीय सुरक्षा संवाददाता पॉल डी शिंकमैन ने लद्दाख में सेनाओं के बीच पिछले महीने हुई हिंस झड़पों पर भारत सरकार की सोच के बारे में जानकारी देने वाले दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा है कि भारत लद्दाख में हुई ताजा मुठभेड़ को चीन की साम्राज्यवादी डिजाइन से जोड़कर देखता है। जोकि विस्तारवाद के लिए प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई से बचता है, लेकिन कई देशों की संप्रभुता और अर्थव्यवस्थाओं को भेदने और कमजोर करने के लिए जबरदस्ती कूटनीति का समर्थन करता है। शिंकमैन ने कहा कि दस्तावेज़, जो पहले प्रकाशित नहीं हुआ है, कुछ विश्लेषकों के बयान और रिसर्च पर आधारित है।
यह दस्तावेज अमेरिका की उन आशंकाओं के बीच आता है, जिसमें चीन के दक्षिण चीन सागर और हांगकांग सहित अपनी सीमा के अन्य हिस्सों में क्षेत्रीय दावों को सुरक्षित करने के लिए कोरोना वायरस महामारी से पनपी वैश्विक संकट का सफलतापूर्वक उपयोग माना जा रहा है।
आपको बता दें कि 15 जून के गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। अमेरिकी खुफिया विभाग का मानना है कि इस झड़प में कम से कम 35 चीनी सैनिकों की भी मौत हुई थी।
इससे पहले दोनों देशों के बीच 2010 और 2014 में भी झड़प की बात सामने आई थी। साथ ही डोकलाम में भी भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच 2017 में सीमा को लेकर विवाद हुआ था।
शिंकमैन ने कहा कि ये घटनाएं हिंसक झड़प के साथ शुरू हुई थीं और अपेक्षाकृत शांति और तेजी से समाप्त हो गई। उन्होंने आगे कहा, 'भारत का मानना है कि बीजिंग चीन की दक्षिण-पश्चिम सीमा के साथ-साथ पर्वतीय क्षेत्रों का अधिक नियंत्रण हथियाना चाहता है, जो कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के रूप में जाना जाने वाला एक अस्थायी समझौता है। चीन का यह प्रयास पाकिस्तान तक पहुंचने के लिए है।'