मानव तस्करी, दुष्कर्म, धमकाने और वसूली के मामलों का आरोपी जीतू सोनी अब थानों में चल रही पुलिस रिमांड से चिड़चिड़ाने लगा है। गुरुवार को लसूड़िया थाने में हुई पूछताछ में अफसरों से बोल पड़ा हनी ट्रैप कांड में भोपाल में पदस्थ एक उच्च स्तर के अधिकारी का एपिसोड निकाल देता तो शायद आज यहां नहीं होता। बाद में वह सिर पकड़कर बैठ गया।
हनी ट्रैप के सबूतों को लेकर प्रश्न किए तो झल्ला गया। बोला, मैं किस रुतबे के साथ जीता था, कई बड़े लोग मुझसे समय लेकर मिलने आते थे। आप लोगों ने मुझे बर्बाद कर दिया। एक अधिकारी की मानें तो जीतू अपने पूरे साम्राज्य के तहस-नहस हो जाने की बात पचा नहीं पा रहा है। उसे अपने किए पर पछतावा है, लेकिन अपने परिवार के बिखर जाने से बेहद दु:खी है। अफसरों से बार-बार यही गुहार लगाता है कि उसने किसी को इतना प्रताड़ित नहीं किया, जितनी प्रताड़ना उसे मिल रही है। कुछ प्रकरणों में जीतू का कोर्ट से जेल वारंट बन गया है लेकिन गंभीर प्रकरणों में पुलिस द्वारा रिमांड मांगे जाने से वह जेल भी नहीं जा पा रहा है।
जीतू को करोड़ों का प्लॉट बेचने वाले दो गिरफ्तार
फर्जी दस्तावेजों के जरिये करोड़ों का प्लॉट जीतू सोनी को बेचने वाले दो बदमाशों को एमआईजी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मामले में पुलिस ने जीतू को भी सहआरोपी बनाया है। एमआईजी टीआई विजय सिसौदिया ने बताया कि गौतमपुरा निवासी अनिल शर्मा उर्फ गोपाल शंकर और नंदन नगर निवासी बलराम उर्फ विक्रम (विक्की) शर्मा ने फर्जी पेपर बनाकर क्लॉथ मार्केट में कमीशन एजेंट रहे ओमप्रकाश जैन के श्रीनगर स्थित प्लॉट पर कब्जा कर लिया था। फिर इन्होंने इसे कई लोगों को बेचा। इस जमीन पर इन्होंने कई बैंकों से लोन भी लिया। ओमप्रकाश जैन ने जीतू को इसके फर्जी दस्तावेजों के जरिये बेचे जाने की जानकारी दी थी, लेकिन उसने कब्जा नहीं छोड़ा था। एजेंट ने तत्कालीन डीआईजी रुचिवर्धन मिश्र को शिकायत भी की थी। जांच के बाद पुलिस ने अनिल, बलराम और जीतू सोनी को आरोपी बनाकर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। दोनों आरोपी 18 जुलाई तक रिमांड पर हैं। जीतू की भी गिरफ्तारी के लिए अनुमति ली है।