मक्का एवं सोयाबीन फसल का अवलोकन कर बचाव की जानकारी दी

Posted By: Himmat Jaithwar
7/16/2020

रतलाम। उपसंचालक कृषि श्री जी.एस. मोहनिया एवं सहायक संचालक श्री भीका वास्के द्वारा विकासखण्ड रतलाम एवं सैलाना का भ्रमण कर मक्का एवं सोयाबीन फसल का मौके पर जाकर अवलोकन किया तथा फसलों के बचाव की जानकारी दी।

उपसंचालक द्वारा बताया गया कि अभी तक रतलाम जिले में सोयाबीन का रकबा 244200 हेक्टेयर में बोई गई है तथा मक्का फसल 34055 हेक्टेयर में बोई गई है। वर्तमान में मक्का फसल में फाल आर्मी वार्म कीट का प्रकोप आंशिक रुप से देखा गया है जिसके नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोइट 5 प्रतिशत, एसीजी 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करने की सलाह दी गई। इसी प्रकार सोयाबीन फसल में कहीं-कहीं सेमीलूपर इल्लियों का प्रकोप देखा गया है जो आकार एवं रंग में भिन्न होती है। प्रारम्भिक अवस्था में इसकी छोटी इल्लियां छेद बनाकर पौधे की पत्तियों को पूर्णतः जालीदार बना देती है जिसके परिणामस्वरुप सोयाबीन के उत्पादन में भारी कमी आ जाती है।

यह भी देखा गया है कि कम वर्षा के साथ-साथ अधिक आद्रता एवं अधिक तापमान वाले मौसम में यह कीट अधिक नुकसान करता है। इसके नियंत्रण के लिए शुरूआती अवस्था में जैविक नियंत्रण हेतु बेसिलस थुरिजिएंसिंस, ब्यूवेरिया बेसियाना 1 लीटर या 1 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिडकाव करें। यह संभावना अधिक होने पर क्विनालफास 25 ई.सी. (1.5 लीटर/है) का प्रति हैक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छिडकाव करें। इसके अलावा गर्डल बीटल कीट यह सोयाबीन का प्रमुख कीट है। साधारणतया फसल 25 दिन की होने के पश्चात इसके लक्षण दिखाई देते हैं। यह एक तना छेदक कीट है तथा इसका जीवन चक्र बहुत जटिल होता है। इसके प्रकोप होने पर थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. (750 लीटर) है या प्रोफेनोफास 50 ई.सी. (1250 मि.ली./है) का 500 लीटर पानी के साथ 1 हैक्टेयर में छिडकाव करें।

साथ ही कृषक भाइयों से अपील की गई है कि इस समय बादलयुक्त मौसम में इल्ली के बढने की संभावना को देखते हुए खेत का लगातार निरीक्षण करते हुए अनुशंसित दवा का उपयोग करें तथा अधिक जानकारी के लिए क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, आत्मा के ब्लाक टेक्नालाजी मैनेजर एवं ग्राम के किसान मित्रों से सम्पर्क कर सकते हैं।



Log In Your Account