गुना। साइंस कॉलेज के लिए आवंटित भूमि से कब्जा हटाने के दौरान एक दलित दंपती ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या का प्रयास किया। यह घटना जगनपुर चक की दोपहर 2.30 बजे की है। दंपती अपने 7 बच्चों के साथ प्रशासनिक- पुलिस अफसरों के सामने हाथ जोड़ता रहा, उसका कहना था कि यह भूमि गप्पू पारदी ने उसे बटिया पर दी है। कर्ज लेकर वह बोवनी कर चुका है। अगर फसल उजड़ी तो बर्बाद हो जाएगा, लेकिन किसान की फरियादी किसी ने नहीं सुनी। सिर्फ एक की मिशन था किसी तरह फसल का उजाड़ा दिया जाए। इसी बात से दुखी होकर किसान राजकुमार अहिरवार और पत्नी ने जहर पी लिया।
अधिकारी कहने लगे यह तो नाटक कर रहे हैं, काफी देर तक दोनों खेत में ही पड़े रहे। उधर, राजकुमार का छोटा भाई आया उसने विरोध किया तो पुलिस ने लाठियां बरसाईं और लाते भी मारी गईं। इस असंवेदनशील भूल और लाठी बरसाते, किसान के जहर पीते हुए वीडियो भी वायरल हुए। उधर पुलिस अधिकारियों का कहना था कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है। वह इस पूरे घटनाक्रम से ही बचने का प्रयास करते रहे।
अतिक्रमण हटना चाहिए, लेकिन मानवता नहीं भूलना चाहिए
सरकारी जमीन पर अतिक्रमण है, इसे हटाना चाहिए। लेकिन मंगलवार को जो घटनाक्रम हुआ है, इससे पुलिस, प्रशासन के अधिकारियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना था कि सुबह 11 बजे पुलिस पहुंची तो पूरी स्थितियां को वह समझ क्यों नहीं पाई। कायदे से लगता था कि दंपती कुछ कर सकता है तो उसके टपरे में रखे कीटनाशक को भी कब्जे में लिया जा सकता था।
परिवार ने झूमाझटकी की, इसलिए की सख्ती
तहसीलदार निर्मल राठौर का कहना था कि परिवार ने महिला पुलिस के साथ झूमाझटकी की। इस वजह से सख्ती दिखाई। वहीं कैंट टीआई योगेंद्र जादव का कहना है कि पुलिस ने लाठी नहीं बरसाईं है, जब उसने कहा कि इसके वीडियो वायरल हो रहे हैं तो बोले ऐसा कुछ नहीं है। उधर पुलिस ने भी बटियादार और उसके परिवार पर प्रकरण दर्ज किया है। जहर पीने की घटना के बाद छोटा भाई राजू ने विरोध किया तो पुलिस ने उस पर लाठियां बरसाना शुरू कर दिया। लातें भी मारी गई। बटियादार के परिवार की महिलाओं के साथ भी पुलिस ने खींच तान की, इससे उनके कपड़े तक फट गए।
आदर्श महाविद्यालय के लिए जमीन आवंटित हुई है। 2 माह से यह प्रोजेक्ट अटका हुआ है। अगर समय पर काम चालू नहीं होता है तो इस प्रोजेक्ट का अन्य जिले में दे दिया जाएगा। इसी दौरान दंपती ने जहर पिया है, दोनों का इलाज चल रहा है। इसके अलावा इस पूरे घटनाक्रम को लेकर जांच के आदेश दिए गए हैं।
-: एस विश्वनाथन, कलेक्टर
सवाल: 8 माह पहले ठेकेदार ने काम क्यों शुरू नहीं किया
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर प्रशासनिक लापरवाही सामने आ रही है। जिस भूमि को मुक्त कराना था, वह शासकीय है। इस पर पूर्व पार्षद गप्पू पारदी का कब्जा था। इससे 8 माह पहले भी हटाया गया था। पूरी प्रक्रिया हो चुकी थी। लेकिन ठेकेदार ने इस जमीन पर एक ईंट तक नहीं लगाई। कायदे से अगर समय पर काम शुरू हो जाता था तो पारदी परिवार फिर से इस पर कब्जा नहीं करता।
सुबह 11 बजे दल-बल के साथ पहुंचे अफसर
जगनपुर चक स्थित 40 से 50 बीघा भूमि पर कई वर्षों से पूर्व पार्षद गप्पू पारदी एवं उसके परिवार का कब्जा है। पारदी परिवार ने इस भूमि राजकुमार अहिरवार को बटिया पर दे दी है। उसने कुछ समय पूर्व ही बोवनी की थी, जो अंकुरित भी हो चुकी है। किसान राजकुमार का कहना था कि उसने 2 लाख कर्ज लेकर बोवनी की है। इससे पहले का भी उस पर 2 लाख का कर्ज चढ़ा हुआ है। चूंकि भूमि पर बुवाई हो चुकी है। इसलिए पूरे परिवार ने अनुरोध किया, हाथ जोड़े कि बाद में यह प्रक्रिया पूरी कर लेना। मंगलवार सुबह 11 बजे ही तहसीलदार निर्मल राठौर, कैंट थाने का बल इस स्थल पर पहुंच चुका था। नपाई आदि की गई, दोपहर 2.30 बजे जेसीबी से फसल उजाड़ना शुरु कर दिया। छोटे-छोटे बच्चे भी रोते रहे। जब हदें पार हो गई तो राजुकमार और उसकी पत्नी सावित्री बाई ने जहर पी लिया। वह जमीन पर गिर पड़े। मासूम बच्चे उनके पास बैठकर रोते रहे और उन्हें उठाते रहे। लेकिन अधिकारी दूर खड़े होकर देखते रहे। कुछ देर बाद दोनों को उठाकर जिला अस्पताल भेजा गया।