नई दिल्ली। राजस्थान की राजनीति में ज्वार भाटा जारी है। अब तक कहा जा रहा था कि डिप्टी सीएम सचिन पायलट अपने मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया का हाथ पकड़कर भाजपा में जाने वाले हैं परंतु सचिन पायलट की टीम की तरफ से इस मामले में अपना स्टैंड क्लियर कर दिया गया है। सचिन पायलट का इरादा भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का कतई नहीं है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने क्या गलती की है
राजनीति में कहा जाता है कि भाजपा में बाहर वालों को कभी सम्मान नहीं मिलता। आंकड़ों की लड़ाई जीतने के लिए और कभी-कभी विपक्षी पार्टियों को आंकड़ों की लड़ाई में हराने के लिए दूसरे दल के नेताओं का स्वागत सत्कार तो किया जाता है परंतु उनकी जरूरत खत्म होते ही उन्हें लाइन हाजिर कर दिया जाता है। राजनीति के भविष्यवक्ताओं का अनुमान था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश में अपनी पार्टी बनाएंगे, परंतु एन मौके पर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का फैसला किया।
पायलट को पता है आपातकाल में सेफ लैंडिंग कहां करनी है
सचिन पायलट की टीम की ओर से मैसेज दिया गया है कि 'पायलट को पता है आपातकाल में सेफ लैंडिंग कहां करनी है।' इसका तात्पर्य यह है कि सचिन पायलट ने अपने और अपने समर्थक कार्यकर्ताओं एवं विधायकों की हितों को सुरक्षित रखने के लिए प्लानिंग पहले से कर रखी है। सचिन पायलट के दिल्ली में होने का मतलब भारतीय जनता पार्टी में शामिल होना नहीं है परंतु इसका तात्पर्य कांग्रेस पार्टी में बने रहना भी नहीं है।
घर के बगीचे में नहीं विधानसभा में बहुमत साबित करना पड़ता है: सचिन पायलट
श्री सचिन पायलट के हवाले से यह बात भी सामने आई है कि गहलोत के बहुमत के दावों को पायलट ने नकार दिया है। उन्होंने कहा है कि 'अशोक गहलोत सरकार के पास उनके दावों के अनुसार बहुमत नहीं है। उन्होंने ये भी कहा है कि सीएम का बैक गार्डन बहुमत साबित करने की जगह नहीं है, यह विधानसभा में तय होता है। यदि उनके पास दावे के अनुसार बहुमत है तो विधायकों की पूरी संख्या क्यों नहीं बताई गई।
जयपुर से खबर आ रही है कि कांग्रेस विधायक दल ने गहलोत का समर्थन किया है
पायलट के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि यदि गहलोत के पास बहुमत था तो उन्हें होटल में बाड़ाबंदी करके रखने की क्या जरूर आन पड़ी। उधर, कांग्रेस विधायक दल ने सोमवार को यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया और सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी के नेतृत्व में आस्था जताई। मुख्यमंत्री गहलोत के सरकारी निवास पर विधायक दल की बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक में कांग्रेस तथा उसके समर्थक निर्दलीय एवं अन्य विधायक मौजूद थे।
सीएम अशोक गहलोत का दावा: 106 विधायकों का समर्थन उनके पास
पार्टी सूत्रों ने दावा किया कि कुल मिलाकर 106 विधायक इस महत्वपूर्ण बैठक में शामिल हुए। उप मुख्यमंत्री तथा पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की ओर से बागी तेवर अपना लिए जाने के मद्देनजर यह महत्वपूर्ण बैठक थी जिसमें विधायकों ने सरकार विरोधी व पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की चाहे वे पदाधिकारी हों या विधायक दल के सदस्य। उप मुख्यमंत्री पायलट और उनके करीबी माने जाने वाले विधायक इस बैठक में शामिल नहीं हुए।