लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस ने बीती 3 जुलाई को बिकरू गांव में विकास दुबे को पकड़ने के दौरान हुई मुठभेड़ में जान गंवाने वाले 8 पुलिसकर्मियों से लूटे गए असलहे बरामद कर लिए हैं. इनमें एके-47 और इनसास राइफलें शामिल हैं. दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में गैगंस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर पर नई ब्राह्णण राजनीति शुरू हो गई है. सोशल मीडिया पर एक वर्ग ने विकास को 'ब्राह्मण टाइगर' का खिताफ दे दिया है. कुछ ब्राह्मण समुदाय के लोग फेसबुक पर योगी सरकार को गिराने की धमकी दे रहे हैं. कुछ कांग्रेसी नेताओं को इसमें अच्छी राजनीतिक संभावना दिख रही है. लेकिन सवाल इस बात है कि क्या 8 ब्राह्मणों के हत्यारे विकास दुबे की मौत से क्या ब्राह्मण सरकार से नाराज हो जाएगा. क्या इससे ब्राह्मण रंग देने वालों के खिलाफ दूसरी जातियां लामबंद नहीं होंगी? लेकिन इन सब बातों को नजरंदाज कर यूपी में खुलकर ब्राह्मण कार्ड खेला जा रहा है कुछ लोगों ने तो सीधे विकास दुबे को महिमामंडित भी करना शुरू कर दिया है.
यूपी के ही रहने वाले कई ब्राह्मणों ने अपने फेसबुक पेज पर विकास दुबे के एनकाउंटर पर यूपी सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है. एक शख्स ने लिखा 'तुम कार पलटो, हम सरकार पलटाएंगे'. इसी तरह ब्राह्मण समुदाय से आने वाले एक दूसरे शख्स ने लिखा,'ब्राह्मण श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर के बाद कल्याण सिंह दोबारा कभी यूपी के मुख्यमंत्री नहीं बन पाए. सोचा आपको याद दिला दूं'. इसी तरह एक और शख्स ने ऐलान किया कि वह परशुराम का वंशज है, और वचन देता है कि कभी ठाकुर समाज के नेता को वोट नहीं देगा' इसी तरह विकास दुबे की पत्नी और बेटे को घुटने के बल बैठी तस्वीरों पर भी सोशल मीडिया पर खूब नाराजगी जताई जा रही है. वहीं कांग्रेस के कुछ नेता 22 साल के अमर दुबे के एनकाउंटर और उसकी पत्नी की गिरफ्तारी का भी मुद्दा बना रहे हैं.
कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णनन कहते हैं, '17 साल के प्रभात मिश्रा जिसका 15 दिन पहले ही 12वीं पास का रिजल्ट आया था, आप उसे उठाते है और कहते हैं कि पिस्टल छीन रहा था और गोली मार देते हैं. 5-7 दिन पहले खुशी दुबे (अमर दुबे की पत्नी) शादी करके घर आई, तुमने उसको मातम मनाने का भी वक्त नहीं दिया'. हालांकि दलित-ब्राह्मण की सोशल इंजीनियरिंग कर चुकीं मायावती (Mayawati) भी इसमें पीछे नहीं हैं, उनको लगता है कि इसे ब्राह्मण समुदाय के लोग भयभीत हैं. उन्होंने ट्वीट किया, 'किसी गलत व्यक्ति के अपराध की सजा की तौर पर पूरे समाज को प्रताड़ित व कटघरे में नहीं खड़ा नहीं करना चाहिए...सरकार ऐसा कोई काम नहीं करे जिससे अब ब्राह्मण समाज भी यहां अपने आपको भयभीत महसूस करे'.
कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद जो खुद एक ब्राह्मण संगठन चला रहे हैं, उन्होंने मायावती के इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया देने में देर नहीं लगाई. उन्होंने लिखा, 'मायावती जी आपने हमारे समाज के बारे में जो अपनी बात रखी है उसके लिए मैं अपने समाज की ओर से आपके लिए आभार व्यक्त करता हूं'. लेकिन इस यूपी इस ब्राह्मण केंद्रित नई राजनीति के बारे में जानकार कहते हैं कि कांग्रेस अगर गैंगस्टर के फर्जी एनकाउंटर का मुद्दा बनाती है तो वो ज्यादा बड़ा मामला होता लेकिन गैंगस्टर की ब्राह्मण जाति का मुद्दा बनाने के खतरे हैं कि कहीं बाकी जातियां भी उसके खिलाफ न हो जाएं.
यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि मार्च 2017 से अब तक 6145 एनकाउंटर हो चुके हैं. इनमें 2258 लोग घायल हुए और 119 मारे गए. इनमें से बहुत सारे पिछड़े, दलित और मुस्लिम हैं. लेकिन पहले किसी की जाति का मुद्दा नहीं बना है. पत्रकार ब्रजेश शुक्ला कहते हैं, ' सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी जो जाति का नाम ले रही है उसने पूरे मुद्दे को धराशाई कर दिया है. लोग अन्य जातियों के मामले में भी एकजुट हो रहे हैं. उन्हें लगता है कि अब तक आप नहीं बोले थे जब एनकाउंटर हो रहे थे. अब आपको जाति याद आ रही है.