BJP का मानना है कि यदि Sachin Pilot अपने साथ दावे के अनुसार 30 विधायक साथ लाकर भाजपा का दामन थाम लें, तो Rajasthan में भी अन्य राज्यों की तरह ‘Operation Lotus’ को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है।
राजस्थान कांग्रेस में अंतर्कलह अब खुलकर सामने आ गई है। अब तक परदे के पीछे चल रही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच की गुटबाजी सरकार पर संकट खडा करने तक की नौबत ला रही है। इस बीच कांग्रेस अंतर्कलह का फ़ायदा उठाने में भाजपा भी कोई मौका नहीं छोड़ना चाह रही है। सूत्रों की माने तो सरकार की कमर तोड़ने की मंशा में भाजपा सचिन पायलट को पार्टी में शामिल करने की जद्दोजहद में जुटी है।
भाजपा का मानना है कि यदि सचिन पायलट अपने साथ दावे के अनुसार 30 विधायक साथ लाकर भाजपा का दामन थाम लें, तो राजस्थान में भी अन्य राज्यों की तरह ‘ऑपरेशन लोटस’ को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है।
दरअसल, सूत्रों की माने तो सचिन पायलट को ‘कमल’ थमाने की कवायद में भाजपा के कई नेताओं को लगाया है। इस बात का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पायलट के इस बार के ताज़ा दिल्ली दौरे में उनके भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाक़ात की खबरें भी चर्चाओं में है। दावा ये तक किया जा रहा है कि सिंधिया ने पायलट की मुलाक़ात भाजपा केंद्रीय संगठन के एक वरिष्ठ नेता से भी करवाई। हालांकि इस तमाम अटकलों की कोई पुष्टि नहीं हो पाई।
गहलोत खेमे का दावा- ‘सरकार सुरक्षित’
वहीं, सीएम अशोक गहलोत खेमे की ओर से कहा गया है कि उनके पास सौ से ज्यादा विधायक हैं और सरकार को कोई खतरा नहीं है। गहलोत ने रविवार देर रात तक पार्टी विधायकों और मंत्रियों के साथ बैठक की।
मध्यप्रदेश
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मार्च में आरोप लगाया कि भाजपा हमारे विधायकों को 25-25 करोड़ में खरीदने की कोशिश कर रही है। इसके बाद हरियाणा मानेसर में होटल में 9 विधायकों के होने की खबर लगी। इसमें कांग्रेस, सपा-बसपा और निर्दलीय थे। फिर, कांग्रेसी विधायकों को हैदराबाद के रिसोर्ट मे शिफ्ट किया गया। कांग्रेस विधायक हरदीप डंग ने इस्तीफा भेजा। 10 मार्च को सियासी ड्रामे मे ज्योतिरादित्य सिंधिया सामने आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद कांग्रेस छोड़ी, भाजपा का दामन थामा। कांगे्रस के 22 विधायकों ने अपने इस्तीफे भेजे। कमलनाथ सरकार ने फ्लोर टेस्ट नहीं करवाया, तो मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कहा। कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने। अब मध्य प्रदेश में कुल 33 में से 14 मंत्री सिंधिया खेमे के हैं।
गुजरात
इस वर्ष मार्च में प्रस्तावित राज्यसभा चुनाव से पहले गुजरात में कांग्रेस के पांच विधायकों ने इस्तीफा दिया। कोरोना के कारण यह स्थगित हो गया था। इसके बाद जब जून महीने में राज्यसभा के चुनाव की नई तारीख घोषित की गई, इसके बाद तीन और कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। चुनाव के बाद आठ में से पांच ने भाजपा का दामन थाम लिया। कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले तीन अन्य पूर्व विधायक ने फिलहाल भाजपा का दामन नहीं थामा है। हालांकि भाजपा इन्हें अपनी पार्टी में शामिल करना चाह रही है।
कर्नाटक
पिछले साल एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिराने के लिए कांग्रेस और जद-एस के 17 विधायकों ने इस्तीफे दिए थे, जिनमें कई मंत्री भी थे। कांग्रेस के 13, जद-एस के 3 और एक निर्दलीय विधायक ने इस्तीफा दिया था, जिनमें जद-एस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल थे। इन सबको स्पीकर ने मौजूदा विधानसभा के पूरे कार्यकाल के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन सबको उपचुनाव लडऩे की अनुमति दे दी। 15 सीटों के उपचुनाव में भाजपा ने पाला बदलने वाले 13 को टिकट दिया, जिसमें से 11 जीते। 10 मंत्री बने और एक को निगम-बोर्ड में जगह मिली। उपचुनाव हारे दो नेताओं को पिछले महीने विधान परिषद भेजा गया जबकि एक अभी भी मझधार में हैं। इस्तीफा देने वाले दो विधायकों के क्षेत्र में चुनाव याचिकाएं लंबित होने के कारण उपचुनाव नहीं हुए हैं। भाजपा ने इस्तीफा देने वाले सभी विधायकों को मंत्री बनाने का वादा किया था।
अरूणाचल प्रदेश
अरूणाचल प्रदेश में बीते पांच सालों में तख्तापलट के खेल कई बार खेले जा चुके हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 60 में से 42 सीटे जीतकर सत्ता में आई थी। नबाम तुकी के नेतृत्व में पार्टी की सरकार बनी। लेकिन 2 साल बाद पेमा खांडू ने 42 कांग्रेस विधायकों के साथ बगावत करके पीपुल्स पार्टी ऑफ अरूणाचल का दामन थाम लिया और मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद 2017 की शुरुआत में खांडू 33 विधायकों को लेकर भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा का कमल खिला दिया।
उत्तराखंड
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड भी राजनीतिक उठापटक का शिकार रहा है। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 32 और भाजपा को 31 सीटे मिली थी। छोटे दलों के सहयोग से कांग्रेस के विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने। दो साल बाद पार्टी ने उनके स्थान पर हरीश रावत को मुख्यमंत्री बना दिया। 2016 में बहुगुणा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। रावत सरकार अल्पमत में आ गई। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा। रावत एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बने लेकिन फिर राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता रही।