नई दिल्ली : राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के संकट में आते ही राज्य में बीजेपी सरकार की सुगबुगाहट तेज हो गई है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल अभी यही बना हुआ है कि क्या राजस्थान में बीजेपी के लिए राह मध्य प्रदेश की तरह ही आसान है या फिर वह महाराष्ट्र की तरह गच्चा न खा जाए. दरअसल बीजेपी इस मामले में फूंक-फूंक कर कदम कर रख रही है. रविवार को सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि सचिन पायलट बीजेपी के संपर्क में हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर की है लेकिन पार्टी ने ऐसा आश्वासन देने से इनकार कर दिया है. साथ में यह भी कहा गया है कि पहले गहलोत सरकार को गिराओ. जैसा की पायलट कैंप का दावा है कि उनके पास 30 विधायकों का समर्थन है, अगर इसमें सच्चाई तभी गहलोत सरकार को गिराया जा सकता है. कांग्रेस के पास 107 खुद के विधायक हैं, 10 निर्दलीय, 2 बीटेपी, 2 सीपीएम विधायकों का समर्थन है.वहीं बीजेपी के पास 73, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के पास 3, और निर्दलीय जो कांग्रेस के खिलाफ हैं ऐसे विधायकों की संख्या 3 का समर्थन है. विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं और बहुमत के लिए 100 सीटें होना जरूरी है. इस हिसाब से कांग्रेस के अपने पास 107 विधायक हैं. क्या है एक ओवर में 6 सिक्स लगाने वाली चुनौती राजस्थान विधायकों की संख्या में बड़ा फासला है. मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच केवल 5 सीटों का अंतर था, राजस्थान में अभी बीजेपी और कांग्रेस के बीच 35 सीटों का अंतर सिंधिया की महत्वाकांक्षा मुख्यमंत्री बनने की नहीं थी, सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं कमलनाथ और अशोक गहलोत में अंतर. कमलनाथ की सरकार दिग्विजय सिंह चलाते थे. राजस्थान में गहलोत के हाथों में पूरी कमान है. मध्य प्रदेश में बीजेपी को सरकार बचाने के लिए 25 में से केवल 9 उपचुनाव जीतने हैं. राजस्थान में सभी उपचुनाव जीतने पड़ेंगे. वसुंधरा फैक्टर भी राजस्थान में. मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान संगठन की लकीर पर चलने वाले नेता हैं. राजस्थान में बिना वसुंधरा की मर्जी के बीजेपी सचिन के साथ जाने का जोखिम नहीं उठा सकती. अगर सचिन के साथ कुछ विधायक आए तो उनको भी समायोजित करना एक बड़ी चुनौती होगी. मध्य प्रदेश में शिवराज 'विष' पीकर शांत हो गए. लेकिन वसुंधरा इतनी आसानी से मान जाएंगी ये नहीं लगता है.
राजस्थान विधायकों की संख्या में बड़ा फासला है. मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच केवल 5 सीटों का अंतर था, राजस्थान में अभी बीजेपी और कांग्रेस के बीच 35 सीटों का अंतर
सिंधिया की महत्वाकांक्षा मुख्यमंत्री बनने की नहीं थी, सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं
कमलनाथ और अशोक गहलोत में अंतर. कमलनाथ की सरकार दिग्विजय सिंह चलाते थे. राजस्थान में गहलोत के हाथों में पूरी कमान है.
मध्य प्रदेश में बीजेपी को सरकार बचाने के लिए 25 में से केवल 9 उपचुनाव जीतने हैं. राजस्थान में सभी उपचुनाव जीतने पड़ेंगे.
वसुंधरा फैक्टर भी राजस्थान में. मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान संगठन की लकीर पर चलने वाले नेता हैं. राजस्थान में बिना वसुंधरा की मर्जी के बीजेपी सचिन के साथ जाने का जोखिम नहीं उठा सकती.
अगर सचिन के साथ कुछ विधायक आए तो उनको भी समायोजित करना एक बड़ी चुनौती होगी. मध्य प्रदेश में शिवराज 'विष' पीकर शांत हो गए. लेकिन वसुंधरा इतनी आसानी से मान जाएंगी ये नहीं लगता है.