भोपाल. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विभाग बंटवारे में हो रही देरी पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि, "मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे को लेकर पूरी भाजपा दिल्ली से लेकर भोपाल में 'वर्कआउट' चल रहा है। यह मंत्रिमंडल के बंटवारे का झगड़ा नहीं है- यह 'लूट' के बंटवारे का झगड़ा है। परिवहन, एक्साइज, राजस्व, शहरी विकास आदि विभाग सिंधियाजी नहीं छोड़ना चाहेंगे। क्यों? समझ जाओगे।"
8 दिन हो गए, सीएम का वर्कआउट खत्म ही नहीं हो रहा है
दिग्विजय ने ट्वीट कर कहा कि "मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के 8 दिन पूरे हुए। विभाग आवंटन के लिए सीएम का वर्कआउट खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। क्या टाइगर नख-दंत विहीन, दीन-हीन हो चुका है? देखते हैं कौन अपनी टेरेटरी छोड़कर भागता है।"
इधर, नड्डा-सिंधिया के बीच बात हुई, आज शाम को बंटवारा हो सकता है
सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बड़े विभागों के लिए अड़ने के बाद अब सियासी सामंजस्य बनने के संकेत हैं। उनकी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से बात हो गई है। सिंधिया से जुड़े करीबियों की मानें तो आज शाम को विभागों का बंटवारा हो सकता है। इस बीच, देर रात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत की सीएम हाउस में बैठक हुई। दिल्ली में सिंधिया के मानने के बाद विभागों के बंटवारे के लिए प्रदेश नेतृत्व को अधिकृत कर दिया गया है।
जीतू ने कहा- मलाईदार विभागों की चाहत में नहीं हो पा रहा बंटवारा
पूर्व मंत्री ने कानून व्यवस्था समेत विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरा। कहा- मुख्यमंत्री को पहले मंत्रिमंडल का विस्तार करने में समय लगा और अब मंत्रियों को विभाग भी अपनी मर्जी से नहीं बांट पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि चौहान आज ही मंत्रियों को विभाग बांटे, अन्यथा उन्हें पद पर रहने का अधिकार नहीं है।
पटवारी ने कहा कि 'मलाईदार विभागों' की चाहत के कारण मंत्रियों के बीच विभागों का वितरण नहीं हो पा रहा है। जबकि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। विभाग नहीं बंट पाने के कारण प्रत्येक विभागों के काम प्रभावित हो रहे हैं। पूर्व मंत्री ने कहा कि 10 दिनों के अंदर विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। अभी तक वित्त मंत्री नहीं बना है और राज्य सरकार का बजट जन प्रतिनिधियों की बजाए अधिकारी बना रहे हैं। यह भी सरकार की अक्षमता का नमूना है।