मुंबई. जिस तरह से देश की अर्थव्यवस्था है, उसमें 3 से 5 प्रतिशत की गिरावट वित्त वर्ष 2021 में मानी जा रही है। ऐसे में अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अभी भी 50 से 150 बीपीएस की कटौती कर सकता है। यह उम्मीद बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज ने जताई है।
ज्यादा रियल लेंडिंग रेट भी चिंता का विषय
इस रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई के लिए ज्यादा रियल लेंडिंग रेट भी एक चिंता का विषय बना रहेगा। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि अगस्त के अंत तक अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खुल जाएगी। ऐसे में 3 प्रतिशत की गिरावट दिख सकती है। अगर यह संकट और आगे जाता है तो यह गिरावट 5 प्रतिशत तक हो सकती है। यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि सालाना वृद्धि किस तरह की होगी।
अप्रैल से मई के बीच 150 बीपीएस का असर दिखा
रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल-मई के लॉकडाउन से 150 बीपीएस का असर दिखा है। हमारा मानना है कि आंशिक लॉकडाउन से यह असर 100 बीपीएस और रहेगा। वास्तविक असर तभी दिखेगा, जब यह पता चले कि यह महामारी कब तक रहेगी। बता दें कि कई अर्थशास्त्रियों ने यह आशंका जताई है कि अर्थव्यवस्था में 3 से 7 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
आगे और भी दिक्कत हो सकती है
कुछ अर्थशास्त्रियों के मुताबिक जिस तरह से कोरोना महामारी है, ऐसे में आगे अभी और दिक्कत हो सकती है। हालांकि अभी भी महामारी दिन ब दिन बढ़ते जा रही है। बैंक ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक, जिस तरह से पहले रेट कट हुए हैं, उसे देखते हुए आगे यह उम्मीद बनी है कि रेट कट हो सकता है।
सरकारी बैंकों को पूंजी देने की कोई घोषणा नहीं
बता दें कि इस साल सरकार ने बैंकों में कोई भी पूंजी डालने की घोषणा नहीं की है। साथ ही सरकार इस साल विनिवेश के जरिए 2.1 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। हालांकि अभी तक पूंजी जुटाने में सरकार को कोई खास सफलता नहीं मिली है। माना यह भी जा रहा है कि सरकार की घोषणा नहीं होने के बावजूद बैंकों को पूंजी मिल सकती है। इसमें एक डायरेक्ट बांड इश्यू से और दूसरा रिजर्व बैंक के पास पड़े रिजर्व से संभव हो सकता है। आरबीआई के पास इस समय 139 अरब डॉलर का रिजर्व है।