नई दिल्ली. दिग्गज निवेशक वारेन बफेट के दिन फिलहाल ठीक नहीं चल रहे। उन्होंने अधिकांश निवेश अमेरिका में किया है। लेकिन अमेरिकी बाजार में 40 फीसदी उछाल के बावजूद 2020 में वारेन बफेट दुनिया में सबसे ज्यादा नुकसान झेलने वाले अरबपति हैं।
ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के मुताबिक बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन बफेट की संपत्ति में इस साल करीब 19 अरब डॉलर (करीब 1.4 लाख करोड़ रुपए) की कमी आई है। इस साल की पहली तिमाही में बर्कशायर ने करीब 50 अरब डॉलर (करीब 3.73 लाख करोड़ रुपए) का घाटा दर्ज किया। हालांकि 70.4 अरब डॉलर (करीब 5.25 लाख करोड़ रुपए) की संपत्ति के साथ बफेट अब भी दुनिया के छठे सबसे धनी व्यक्ति हैं।
बफेट ने बाजार के इतिहास में सबसे बड़े उछाल का फायदा उठाने का अवसर खो दिया
बफेट की संपत्ति में भारी गिरावट आने और उनके कुछ फैसलों के बेहतर परिणाम नहीं आने के बाद उनकी निवेश रणनीति पर बाजार के कुछ विश्लेषकों का भरोसा घटा है। आईआईएफएल सिक्युरिटीज के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट संजीव भसीन ने इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा कि वारेन बफेट में अब वो बात नहीं, जो पहले हुआ करती थी। बाजार के प्रदर्शन को लेकर इस साल वह सबसे ज्यादा बियरिश (निराशावादी) थे और अब भी हैं और उन्होंने बाजार में आए इतिहास के सबसे बड़े उछाल का अवसर खो दिया।
शेयरों को हमेशा रखने की पैरवी करने वाले बफेट को शेयर बेचना पड़ा
बफेट वैल्यू इनवेस्टिंग की सलाह देते रहे हैं। वह शेयर को खरीदकर हमेशा के लिए अपने पास रखे रहने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करते रहे हैं। हालांकि इस साल की पहली तिमाही में जब बाजार में भारी गिरावट देखी जा रही थी, तब उन्हें कई बड़े निवेशों से बाहर निकलने के लिए बाध्य होना पड़ा। कोरोनावायरस महामारी फैलने से यात्रा की मांग पूरी तरह से खत्म होने के बाद उन्होंने अमेरिका की 4 सबसे बड़ी विमानन कंपनियों में अपनी पूरी की पूरी हिस्सेदारी बेच दी। इन चारो विमानन कंपनियों -अमेरिकन एयरलाइंस, डेल्टा एयरलाइंस, साउथवेस्ट एयरलाइंस और युनाइटेड एयरलाइंस- बर्कशायर सबसे बड़ा निवेशक थी।
शेयरों को हमेशा के लिए रखने की निवेश रणनीति पुरानी पड़ी : अंबरीश बालिगा
स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा कि शेयरों को हमेशा के लिए अपने पास रखने की निवेश रणनीति पुरानी पड़ गई है। पहले बदलाव दो-तीन दशकों में एक बार होता था। अब बदलाव की रफ्तार तेज हुई है। जो सेक्टर या कारोबार आज अच्छे दिख रहे हैं, वे एक दशक से भी कम समय में पुराने पड़ सकते हैं। इसलिए आप हमेशा के लिए शेयर नहीं रख सकते हैं। आपको नियमित तौर पर अपने निवेश को देखना होता है। बर्कशायर के पास प्रीसीजन कास्टपार्ट्स कॉर्प का लगभग पूरा स्वामित्व है। यह कंपनी एयरोस्पेस पार्ट्स की आपूर्ति करती है। लेकिन विमानन बनाने वाली कंपनियां उत्पादन घटा रही हैं। बर्कशायर ने प्रीसीजन कास्टपार्ट्स को 2016 में 37.2 अरब डॉलर में खरीदा था। यह बफेट के सबसे बड़े सौदों में से एक है।
बाजार का ध्यान अब ग्रोथ स्टॉक्स पर
कुछ विश्लेषकों के मुताबिक बाजार का ध्यान अब ग्रोथ स्टॉक्स पर है। उन्होंने टेस्ला का उदाहरण दिया। टेस्ला ने कभी भी प्रोफिट नहीं दिखाया है। लेकिन गत 6 महीने में उसके शेयरों का वैल्यू बढ़कर करीब तीन गुना हो गया है। हाल में टेस्ला दुनिया की सबसे ज्यादा मूल्य वाली कार निर्माता कंपनी बन गई है।
मार्च में आई भारी गिरावट में बफेट ने कुछ नहीं खरीदा
आईआईटी से निकले और बाद में वैल्यू इनवेस्टर बन चुके गौरव सूद भी बालिगा की इस बात से सहमत हैं कि ट्रेंड तेजी से बदल रहे हैं। अब शेयरों को हमेशा के लिए अपने पास रखे रहना व्यावहारिक सोच नहीं है। सूद कानव कैपिटल के मैनेजिंग पार्टनर हैं। उन्होंने कहा कि मार्च में बाजार में आई गिरावट के दौरान बफेट ने कुछ नहीं खरीदा। वह डील करने से पहले काफी निगोशिएशन करते हैं। लेकिन उतना वक्त नहीं था। वह एक अवसर था, जिसे उन्होंने गंवा दिया।
89 वर्ष के बफेट अब सुरक्षात्मक दांव खेलने लगे हैं
बफेट को फॉलो करने वाले कई निवेशक भी मानने लगे हैं कि 89 वर्ष के हो जाने के कारण वह अब सुरक्षात्मक दांव लगाने लगे हैं। इस उम्र पर वह अब जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। अब उनके लिए वेल्थ क्रिएशन से ज्यादा महत्वपूर्ण है वेल्थ कंजर्वेशन।
बफेट पर कुछ विश्लेषकों को अब भी भरोसा
हालांकि दलाल स्ट्र्रीट में हर कोई उनकी आलोचना नहीं कर रहा है। कोटक एएमसी के एमडी नीलेश शाह ने कहा कि सचिन तेंदुलकर भी कई बार शून्य पर आउट हो जाते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि वे क्रिकेट खेलना भूल गए। हम दावे से यह नहीं कह सकते कि उनकी रणनीति अब कारगर नहीं रही।
बफेट इक्विटी पर रिटर्न को महत्व देते हैं और वैल्यू बढ़ाने के लिए पूंजी फंसाना नहीं चाहते
शाह ने कहा कि बफेट के पोर्टफोलियो को प्रदर्शन इसलिए अच्छा नहीं दिख रहा, क्योंकि वह इनोवेशन वाले कारोबार को खरीदना नहीं चाहते हैं। बफेट की रुचि उन कारोबार में है, जो मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। उनके पोर्टफोलियो में बहुत कम इनोवेशन आधारित कंपनियां हैं। उदाहरण के तौर पर वह बिल गेट्स के मित्र हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी माइक्रोसॉफ्ट नहीं खरीदा। उन्होंने आईबीएम और एपल खरीदा, लेकिन उनके पोर्टफोलिया में इन कंपनियों का हिस्सा बेहद मामूली है। दुनिया ने इनोवेशन को वैल्यू दिया है, लेकिन शुरुआती वर्षों में लाभ नहीं दे पाने वाली इन कंपनियों को बफेट ने ज्यादा महत्व नहीं दिया। बफेट शायद इक्विटी पर रिटर्न को ज्यादा महत्व देते हैं और वैल्यू बढ़ाने के लिए पूंजी को फंसा कर रखना पसंद नहीं करते।