देश की राजधानी भोपाल में एक ऐसा शिव मंदिर भी है जिसके शिवलिंग वट वृक्ष से प्रकट हुए। शिवलिंग जमीन के अंदर कितनी गहराई तक है यह तो किसी को नहीं पता लेकिन कहते हैं कि 200 साल पहले 36 हाथ नीचे तक खुदाई की गई थी, तब वहां से एक जलधारा निकली। कहा जाता है कि मंदिर परिसर में बने कुएं के पानी लोगों के चर्म रोग दूर हो जाते हैं।
अथ श्री बड़वाले महादेव की कथा
जिस स्थल पर बाबा बटेश्वर विराजमान हैं, वे इसी पेड़ की जड़ से प्रगट हुए थे। 200 साल पूर्व एक राहगीर को सबसे पहले बाबा बटेश्वर के दर्शन हुए। ऐसा कहा जाता है कि बिना जटाओं का बड़ नहीं होता है, लेकिन इस मंदिर में एक ऐसा वटवृक्ष है, जिसमें जटाएं नहीं हैं। 200 साल पहले इस धार्मिक स्थल के स्थान पर बगीचा हुआ करता था। इसमें कई प्रजातियों के वृक्ष लगे थे। एक समय की बात है जब एक राहगीर इसी बगीचा में धूप का समय बिताने के लिए आराम करने लगा। थकान के चलते नींद लग गई, लेकिन करवट लेते समय बड़ की जड़ में स्थित एक सिला से सिर टकराया। उसे देखने पर उसमें शिवलिंग के दर्शन हुए।
इसके बाद पेड़ के आसपास खुदाई करवाई गई। 36 फीट नीचे खुदाई के बाद भी छोर नहीं मिला। खाई में पानी भर गया। इसके बाद राहगीर ने पेड़ की जड़ में स्वयंभू शिवलिंग की बटेश्वर महादेव के रूप में पूजा-अर्चना की। तभी से यहां पूजा-अर्चना की जा रही है। 35 वर्ष पूर्व मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। पिछले तीन दशकों से महाशिवरात्रि के पर्व पर शिव बारात का आयोजन होता है, जिसमें शहर के सभी वरिष्ठजन शामिल होते हैं। सभी प्रदोष व्रत पर विशेष श्रृंगार भी होता है।
श्री बड़वाले महादेव मंदिर से जुड़े चमत्कार
- मंदिर का 200 साल से अधिक पुराना इतिहास।
- बड़ की जड़ से प्रगट हुए बाबा बटेश्वर।
- 36 फीट खुदाई के बाद भी शिला का नहीं मिला छोर।
- मंदिर में बिना जटाओं वाला वट्वृक्ष।
- पीपल के पेड़ में बड़ी जटाएं हैं।
- वर्षों पुराने कुआं के पानी से कई लोगों का चर्म रोग ठीक हुआ।
- इस कुआं का जल स्तर भीषण गर्मी में भी कम नहीं होता।