भोपाल. सौर ऊर्जा से देश के कई रेलवे स्टेशनों की बिजली की जरूरत पूरी करने के बाद रेलवे जल्द ही इसका इस्तेमाल ट्रेन चलाने में करने जा रहा है। बीना में रेलवे ने अपनी खाली पड़ी जमीन पर 1.7 मेगावाॅट का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने का काम पूरा कर लिया है। इसे 25 केवी की ओवरहेड लाइन से जोड़कर ट्रेन चलाने की योजना है। पहली बार देश में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से ट्रेनें चलाई जाएंगी।
रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लि. (भेल) और भारतीय रेलवे की साझा पहल से संयंत्र लगाए गया है। इसका परीक्षण का काम शुरू हो गया है। अगले 15 दिन में बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा। संयंत्र में डीसी धारा को एक फेज वाली एसी धारा में बदलने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इससे सीधे ओवरहेड लाइन को आपूर्ति होगी। संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता 25 लाख यूनिट होगी। इससे 1.37 करोड़ रुपए की बचत होगी।
भिलाई में लग रहा है 50 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र
रेलवे छत्तीसगढ़ के भिलाई में भी अपनी खाली जमीन पर 50 मेगावाॅट का सौर ऊर्जा संयंत्र लगा रहा है। इसे भी केंद्र की ‘ट्रांसमिशन यूटिलिटी’ से जोड़ा जाएगा। यहां मार्च 2021 तक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। हरियाणा के दीवाना में दो मेगावाॅट के सौर ऊर्जा संयंत्र में उत्पादन इस साल 31 अगस्त तक शुरू होने की उम्मीद है। विभिन्न स्टेशनों और रेलवे की इमारतों की छतों पर अब तक करीब 100 मेगावाॅट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा चुकी है। रायबरेली स्थित मॉर्डन कोच फैक्ट्री में तीन मेगावाॅट क्षमता का सौर संयंत्र चालू हो चुका है।
रेलवे का 2030 तक शुद्ध रूप से कार्बन निरपेक्ष इकाई बनने का लक्ष्य
रेलवे ने वर्ष 2030 तक शुद्ध रूप से कार्बन निरपेक्ष इकाई बनने का लक्ष्य रखा है। इस प्रयास में एक तरफ उसे कार्बन उत्सर्जन कम करना है तो दूसरी तरफ पेड़ लगाकर कार्बन सिंक तैयार करना है। उसने ऊर्जा के स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा के अधिक से अधिक इस्तेमाल का लक्ष्य रखा है। रेलवे की खाली पड़ी जमीनों, प्लेटफार्माें पर बने शेड और इमारतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर वह ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर होने का भी प्रयास कर रहा है।