भोपाल। शैक्षणिक सत्र 2019-20, एक लड़की के पिता की मृत्यु हो चुकी है। घर चलाने के लिए मां 12 घंटे ड्यूटी पर रहती है। घर में केवल वृद्ध नानी है। इन परिस्थितियों में ज्यादातर लड़कियां व्हाट्सएप पर टिक टॉक पर एक्टिव हो जाती हैं और इस तरह की एप्लीकेशन पर फॉलोअर्स की भीड़ प्राप्त करके खुद को स्टार समझने लगती हैं परंतु भोपाल की कर्णिका मिश्रा ने ऐसा नहीं किया। जिस उम्र में घर में अकेली लड़कियां 4 से 5 घंटे सोशल मीडिया पर बिताती हैं, उसी उम्र में करने का मिश्रण है हर रोज 4-5 घंटे पढ़ाई की और 10वीं हाई स्कूल की टॉपर बन गई।
हाई स्कूल टॉप करने के लिए कितनी पढ़ाई करनी पड़ती है: टॉपर कर्णिका मिश्रा ने बताया
मैंने कभी भी पढ़ाई सिर्फ नंबर के लिए नहीं की। नॉलेज के लिए पढ़ाई करती हूं। सालभर रोजाना सुबह से शाम तक 3 से 4 घंटे नियमित पढ़ाई करती हूं। परीक्षा के दौरान भी इसी तरह पढ़ाई करती हूं। इससे अचानक कोई बोझ नहीं होता। इससे कुछ भूलने की घबराहट भी नहीं होती। मां और नानी ने पढ़ाई के लिए कभी भी प्रेशर नहीं डाला।
परीक्षा में टॉप करने के लिए घर और स्कूल में पढ़ाई का कितना प्रेशर था
कर्णिका ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने से पिता की मौत के बाद मां ने ही सबकुछ संभाला। मां और नानी ही उसके लिए सबकुछ हैं। मां सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक ड्यूटी पर रहती हैं। उन्हें तो अभी इसके बारे में पता तक नहीं है। मुझे पढ़ना अच्छा लगता है, क्योंकि उससे सीखने को मिलता है।
आगे कैरियर के लिए क्या चुना है
कर्णिका अपने पढ़ाई के कारण स्कूल में सबकी चहेती है। फीस नहीं भर पाने के कारण स्कूल प्रबंधन ने उसकी फीस भी माफ कर दी। इसके साथ ही ट्यूशन के पैसे भी उससे नहीं लिए गए। रिजल्ट आने के बाद स्कूल प्रबंधन ने अपनी टॉपर के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें मंत्री विश्वास सारंग भी पहुंचे। उन्होंने कर्णिका की कोचिंग की जिम्मेदारी ली है। अगला लक्ष्य एमपी पीएससी पास करना है। इसके लिए पीसीएम विषय से आगे की पढ़ाई करूंगी।