नईदिल्ली। सवा सात पहले दिल्ली की सड़कों पर निर्भया के साथ दरिंदगी करने वाले चारों दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश और पवन गुप्ता को दिल्ली की तिहाड़ जेल में आज यानी शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया और अब इनके शवों को पोस्टमार्टम के लिए दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल ले जाया गया है। फांसी के आधे घंटे बाद चारों की मौत की पुष्टि की गई और 6 बजकर 20 मिनट पर शवों को फंदे से उतारा गया। दूसरी तरफ, निर्भया के माता-पिता ने कहा कि अंतत: हमारी बेटी को इंसाफ मिला। उन्होंने न्यायपालिका, सरकार और राष्ट्रपति को धन्यवाद किया।
जेल सूत्रों के मुताबिक, निर्भया के गुनहगारों ने गुरुवार की रात बेचैनी में गुजारी और उन्हें रातभर नींद नहीं आई। फांसी देने से पहले तिहाड़ जेल के अधिकारी तड़के चार बजे के करीब चारों की सेल में पहुंचे और जरूरी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद इनसे नहाने व कपड़े बदलने के लिए कहा। दोषी विनय ने कपड़े बदलने से इनकार कर दिया और रोते हुए माफी मांगने लगा। सेल से बाहर लाने से पहले इन चारों को सफेद कुर्ता-पजामा पहनाया गया।
इसके बाद दोषियों को जेल प्रशासन की ओर से चाय-नाश्ता के लिए पूछा गया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। जेल प्रशासन की ओर से दोषियों से उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई। फांसी देने से पहले चारों के हाथ पीछे की ओर करके जब बांधे जा रहे थे तो दो दोषी इसके लिए तैयार नहीं हो रहे थे, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। फांसी के लिए जब इनको लेकर आया जा रहा था तो एक दोषी जमीन पर लेट गया और काफी मशक्कत के बाद उसे आगे लेकर जाया गया। इसके बाद चारों के चेहरे काले कपड़े से ढक दिए गए और गले में रस्सी बांधी गई। इनके दोनों पैर भी बांध दिए गए थे ताकि फांसी देते वक्त इनके दोनों पैर अलग-अलग ना हिले। ठीक साढ़े पांच बजे जेल सुपरिटेंडेंट का इशारा मिलते ही पवन जल्लाद ने लीवर खींच दिया।
दोषियों को फांसी दिए जाने के दौरान तिहाड़ जेल के बाहर भीड़ जुटी रही। कुछ लोगों के हाथों में तिरंगा था। चारों को फांसी दिए जाने के बाद निर्भया के माता-पिता ने कहा कि इंसाफ के लिए सात साल का लंबा हमारा इंतजार खत्म हुआ। निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि आज मेरी बेटी को शांति मिली होगी। आशा देवी ने कहा कि निर्भया को इंसाफ मिलने भर से उनकी लड़ाई खत्म नहीं होगी, वह देश की दूसरी बेटियों को इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष करती रहेंगी।
फांसी दिए जाने से एक दिन पहले निर्भया के गुनहगारों के वकील ने भी इन्हें बचाने के तमाम हथकंडे अपनाए, पर काम न आए। वकील एपी सिंह ने दिल्ली हाई कोर्ट में डेथ वारंट को टालने के लिए याचिका दायर की गई, लेकिन गुरुवार रात साढ़े बारह बजे के करीब दोषियों के खिलाफ फैसला आया। इसके बाद एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया पर वहां भी निर्भया के दोषी कुछ ऐसी दलील नहीं दे सके, जिसकी वजह से फांसी टले। शुक्रवार तड़के करीब 3.30 बजे सुप्रीम कोर्टच ने भी इस याचिका को खारिज कर दिया।
सात साल, तीन महीने, चार दिन पहले 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली की सड़कों पर चलती बस नि 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा निर्भया से छह लोगों ने दरिंदगी की थी। पीड़िता का दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन हालत में सुधार नहीं होने पर इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया लेकिन निर्भया को बचाया नहीं जा सका और 26 दिसंबर को उनकी मौत हो गई। निचली अदालत ने पांच दोषियों राम सिंह, पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी की सजा सुनाई थी। उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने फांसी की सजा को बरकरार रखा। सुनवाई के दौरान मुख्य दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य दोषी नाबालिग होने की वजह से तीन साल में सुधार गृह से छूट चुका है।