लखनऊ. केंद्र सरकार ने प्रियंका गांधी को दिल्ली स्थित लोधी स्टेट के सरकारी बंगले को खाली करने का नोटिस दिया है। अब खबर है कि प्रियंका गांधी लखनऊ में शिफ्ट होंगी और यहीं से यूपी की राजनीति करेंगी। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी लखनऊ में रही थीं। सीनियर जर्नलिस्ट प्रदीप कपूर बताते हैं कि लखनऊ से ही इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बीच अलगाव की शुरुआत हुई थी।
वे बताते हैं कि इस दरार के पीछे दोनों का इगो सबसे बड़ा कारण था। दरअसल, इंदिरा बड़े बाप की बेटी थीं और फिरोज भी बहुत एग्रेसिव थे। वे अपने हिसाब से अपनी जिंदगी जीते थे। उन्हें इस बात का गुमान नहीं था कि वे नेहरू के दामाद हैं।
लाप्लास में बंगला नंबर 6 में रहते थे इंदिरा और फिरोज
इंदिरा गांधी के लखनऊ प्रवास को लेकर हमारी मुलाकात गांधी आश्रम के सेक्रेटरी आर. एन. मिश्रा से हुई। आर. एन. मिश्रा लखनऊ के उन चुनिंदा लोगों में शामिल हैं, जिनका फिरोज गांधी से मिलना-जुलना होता था। आर. एन. मिश्रा बताते हैं कि इंदिरा के साथ शादी के बाद, फिरोज को नेशनल हेराल्ड का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाकर लखनऊ भेज दिया गया। यह वही अख़बार था जिसकी स्थापना नेहरू ने 1937 में की थी। इसका दफ्तर कैसरबाग में हुआ करता था, जो कि आज इंदिरा गांधी आई हॉस्पिटल में बदल गया है।
आर. एन. मिश्रा बताते हैं कि शायद साल 1945-48 के बीच का का समय था। ट्रेन से जब गांधी दंपति आए तो लखनऊ में उनका पहला आशियाना हजरतगंज में गांधी आश्रम के सामने बनी बिल्डिंग के उपरी हिस्से में बने एक फ़्लैट में था। यह फ्लैट गांधी परिवार के किसी करीबी दोस्त का था। यहां लगभग 10 से 15 दिन ही इंदिरा और फिरोज रहे होंगे।
इसके बाद उन्हें लाप्लास में बंगला नंबर 6 आवंटित कर दिया गया था। उस समय वहां बड़े अफसरों के बंगले हुआ करते थे। आज के दौर में वहां सरकारी मल्टी स्टोर बिल्डिंग बनी हुई है। जो कि सहारागंज के सामने है। यह वही बिल्डिंग है, जहां पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी भी रह चुके हैं।
इंदिरा को पसंद थी गंजिंग तो फिरोज का ठिकाना बन गया था कॉफी हाउस
कांग्रेस के पूर्व महामंत्री हनुमान त्रिपाठी बताते हैं कि मुझे अपने सीनियर लीडर्स से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक इंदिरा गांधी को गंजिंग बहुत पसंद थी। वह नई उम्र की महिला थीं। उन्हें फिरोज गांधी के साथ अक्सर गंज में लोग देखा करते थे। इसके साथ ही इंदिरा को लखनऊ में चौक, अमीनाबाद और मॉडल हाउस भी बहुत पसंद था। वह यहां अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाया करती थीं। जबकि अमीनाबाद और चौक में वह खरीदारी करने जाती थीं।
यही नहीं वह अपनी मामी शीला कौल के यहां भी आती-जाती रहती थीं। इंदिरा गांधी को किताबों से भी बहुत लगाव था। उस समय वह यूनिवर्सल बुक डिपो में जाया करती थीं। प्रधानमंत्री बनने के बाद जब वह लखनऊ पहली बार आईं तब वह यूनिवर्सल बुक डिपो गईं थीं। जहां तक फिरोज गांधी की बात है, उनका उठना-बैठना कॉफी हाउस में हुआ करता था।
काफी हाउस के बाहर चाट खाया करते थे
आर. एन. मिश्रा बताते हैं कि उस समय कॉफी हाउस के बरामदे में एक चाट वाला अपनी दुकान लगाया करता था। शाम में वह कुप्पी जलाया करता था। जब भी फिरोज कॉफ़ी हाउस आते तो पहले उसे डांटते कि कुप्पी मत जलाओ, इस वजह से चाट खराब होती है। फिर कुप्पी जब बुझ जाती थी तो उससे चाट खाया करते थे।
यही नहीं जब उस चाट वाले ने वहां से दुकान हटा ली तो फिरोज चाट खाने चौक जाने लगे। उस समय कॉफी हाउस में राजनेता, पत्रकार और सोशल एक्टिविस्टों का जमावड़ा खूब लगा करता था। जिसका लुत्फ फिरोज गांधी भी उठाया करते थे।
यहीं से पड़ी रिश्ते में दरार
फिरोज गांधी के बारे में जानने वाले चाहे सीनियर जर्नलिस्ट प्रदीप कपूर हो या आर. एन. मिश्रा दोनों का ही मानना है कि शादी के एक साल बाद से ही इंदिरा और फिरोज में मनमुटाव होने लगा था, लेकिन रिश्ते में दरार लखनऊ में ही आकर पड़ी।
उस समय यह बात भी सामने आई कि लखनऊ में फिरोज के कुछ महिलाओं से संबंध थे, जिसकी जानकारी इंदिरा गांधी को हुई। यहीं से दोनों के बीच दरार पड़ी और फिर वह अपने पिता जवाहरलाल नेहरू के पास उनकी देखभाल के लिए चली गईं, जबकि फिरोज गांधी लखनऊ में ही रुक गए।xd