25 मार्च बुधवार को 2077 प्रमादी नाम का नया संवत्सर शुरू होने वाला है। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार इस हिंदू नववर्ष का राजा बुध और मंत्री चंद्रमा रहेगा। इन ग्रहों में शत्रुता होने से के कारण बड़े पदों पर स्थित प्रशासनिक अधिकारियों और उनके सहयोगियों के बीच मतभेद हो सकते हैं। वहीं इस संवत्सर में अधिकमास भी आ रहा है। जिसके कारण दीपावली और अन्य मुख्य त्योहार भी कुछ दिन देरी से मनाए जाएंगे। इस संवत्सर में 2 ही ग्रहण लगेंगे। जिसके कारण देश के लिए समय शुभ कहा जा सकता है।
यूं बनते हैं संवत्सर के राजा
किसी भी नए संवत्सर में राजा का चयन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के वार के अनुसार इस संवत्सर के 6 ग्रहों को मंत्रिमंडल में रखा है 3 ग्रहों को मंत्रिमंडल से बाहर रखा है होता है, अर्थात इस दिन जो वार होता है उस वार के स्वामी को संवत का राजा माना जाता है।
19 साल बाद अश्विन अधिमास
इस संवत्सर में आश्विन के दो महीने रहेंगे। 19 साल पहले ऐसा हुआ था क्योंकि अधिकमास था। हर 3 साल बाद संवत्सर में एक माह अधिमास का भी होता है। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते है। इस व्यवस्था में एक हिंदी महीना 2 बार होता है इसे ऐसे समझ सकते हैं कि करीब 58 से 60 दिनों तक एक ही महीना लिखा जाता है।
नए संवत्सर में दीपावली आएगी देरी से
इस साल आश्विन अधिकमास होने से यानी दो अश्विन महीने होने के कारण कार्तिक माह के तीज और त्योहार 10 से 15 दिन या इससे कुछ ज्यादा देरी से आएंगे। इस साल दीपावली पर्व नवंबर माह के दूसरे सप्ताह में आएगा। यानी 14 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी और देवउठनी एकादशी पर्व 25 नवंबर को मनाया जाएगा