भोपाल. सहकारी बैंकों के शीर्ष पद पर नियुक्तियों के लिए राज्य सरकार फिर काे-ऑपरेटिव एक्ट में बड़ा संशोधन करने जा रही है। इसके बाद सांसद अथवा विधायक अपैक्स बैंक से लेकर सहकारी बैंकों तक के प्रशासक बन सकेंगे। इसका लाभ विदिशा से भाजपा सांसद रमाकांत भार्गव काे मिल सकता है।
शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में भार्गव दो टर्म मार्कफेड के चेयरमैन रहे थे। इसके बाद जब उन्हें अपेक्स बैंक का प्रशासक नियुक्त करना था, तब भी काे-ऑपरेटिव एक्ट 1960 के सेक्शन 48 (ए) में 15 साल पुराना प्रावधान संशोधित किया गया था। सूत्रों के मुताबिक बरसों से एक्ट में यह प्रावधान है कि कोई भी जनप्रतिनिधि, जिला पंचायत अध्यक्ष या जनपद अध्यक्ष किसी भी सहकारी बैंक या अपेक्स बैंक का प्रशासक नियुक्त नहीं किया जा सकता। यदि कोई पब्लिक से जुड़ा व्यक्ति किसी बैंक में संचालक बन चुका है तो वह उपाध्यक्ष बन सकता है और बाद में चुनाव के बाद अध्यक्ष निर्वाचित हो सकता है।
प्रशासक तो कोई सरकारी अधिकारी ही बन सकता है। इस प्रावधान को शिवराज सरकार ने 2018 में बदला और जहां सिर्फ प्रशासक लिखा हुआ था, वहां प्रशासक और पब्लिक नाॅमिनी कर दिया गया। संशोधन के तुरंत बाद भार्गव की अपेक्स बैंक के प्रशासक के तौर पर नियुक्ति हो गई। कांग्रेस की सरकार बनी तो अशोक सिंह को यह लाभ मिला। इसी बीच भार्गव लोकसभा चुनाव में विदिशा से सांसद चुन लिए गए। भाजपा की सरकार बनी है तो फिर संशोधन की फाइल दौड़ाई गई है। इस बार प्रावधान में से सांसद अथवा विधायक के शीर्ष पद पर नियुक्ति की पाबंदी को हटाया जा रहा है। वरिष्ठ सचिव स्तरीय समिति की मंजूरी के बाद बुधवार को विधि ने भी सहमति दे दी है। कैबिनेट के बाद मानसून सत्र में एक्ट में संशोधन का बिल लाया जाएगा।
अफसरों का कहना...लाभ के पद से बाहर हैं अपेक्स सहकारी संस्थाएं
- 2018 में हुए संशोधन के बाद पब्लिक नाॅमिनी के तौर पर रमाकांत भार्गव की प्रशासक पद पर नियुक्ति सिर्फ अपेक्स बैंक में हुई थी। प्रदेश के बाकी सहकारी बैंकों में सरकारी अधिकारी ही प्रशासक बनाए गए।
- विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तमाम अपेक्स सहकारी संस्थाएं लाभ के पद (आॅफिस आॅफ प्राॅफिट) के दायरे से बाहर हैं। इसीलिए राज्य सरकार के इस संशोधन का लाभ सांसद-विधायक को मिल जाएगा।
अब कैसे आएगी को-ऑपरेटिव में शुचिता : तन्खा
कांग्रेस नेता विवेक तन्खा का कहना है कि 1990 में सुभाष यादव के समय यह प्रावधान था, इसीलिए मंत्री रहते हुए यादव अपेक्स बैंक के चेयरमैन रहे। भाजपा की सरकार आने के बाद यह कहकर सांसद-विधायकों पर पाबंदी लगाई गई कि काे-आॅपरेटिव में शुचिता लाना जरूरी है। अब यह कहां चली गई। संशोधन से काे-ऑपरेटिव की मूल भावना को नुकसान होगा।
सहकारी अधिनियम में संशोधन किए जाने के बारे में विचार चल रहा है। जनप्रतिनिधियों को सहकारी संस्थाओं में और अधिक भाग लेने का अवसर मिलेगा। सहकारी संस्थाएं सुदृढ़ होंगी। प्रशासक को कार्य करने में सुविधा मिलेगी।
गोविंद सिंह राजपूत, सहकारिता मंत्री