बीजिंग। एक तरफ जहां पूरी दुनिया और खुद चीन-पाकिस्तान भी कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहे हैं, वहीं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक बार फिर पाकिस्तान के जरिए भारत को संदेश देने की कोशिश की है. जिनपिंग ने साफ़ कहा है कि चीन हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़ा रहेगा, अंतरराष्ट्रीय दबाव कितना भी हो हम इसकी चिंता नहीं करते हैं.
जिनपिंग ने कहा- कोई फर्क नहीं पड़ता की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थितियां कैसे बदल रही हैं, चीन और पाकिस्तान की दोस्ती हमेशा मजबूत रहेगी. ये दोनों देश दुनिया के सामने एक ऐसा मॉडल पेश करेंगे जो मानवता और लोगों की भलाई के मामले में सबसे बेहतर साबित होगा. बता दें कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में जिनपिंग ने पाकिस्तान की दोस्ती को काफी अहम करार दिया.
पाकिस्तान के जरिए भारत को दिया संदेश
जानकारों के मुताबिक चीन के इस बयान से सीधा संदेश भारत के लिए है. दरअसल डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका और भारत के संबधों में काफी मजबूती आई है और यही चीन से हजम नहीं हो रहा है. चीन दक्षिण एशिया में अमेरिका के दखल को लेकर काफी चिंतित है. ट्रंप की भारत यात्रा में उनकी और पीएम मोदी की नजदीकियों की चर्चा पूरी दुनिया में रही, जिसे एक नई शक्ति के उदय की तरह भी देखा जा रहा है.
इस कार्यक्रम में मौजूद अल्वी ने भी कहा- 'पाकिस्तान और चीन के बीच ये दोस्ती ऐतिहासिक है और दोनों देशों के लोग इसे दिल से महसूस करते हैं.' अल्वी ने बीजिंग से मिल रहे समर्थन की तारीफ की और कहा कि इसके बाद दोनों देशों के द्विपक्षीय समझौतों को और मजबूती मिल गयी है. मिली खबरों के मुताबिक पाकिस्तान में कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र चीन जल्द ही उसे 300000 फेस मास्क, 10000 प्रोटेक्टिव सूट और 4 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता देना वाला है.
अमेरिका ने चीन की आलोचना की
दुनिया भर में जारी कोरोना संक्रमण से हो रहे नुकसान के लिए अमेरिका लगातार चीन को ही जिम्मेदार बता रहा है. उधर चीन ने इस वायरस के लिए अमेरिकी सेना को ही जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की है. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत भारतीय मूल की अमेरिकी नेता निक्की हेली ने घातक कोरोना वायरस से निपटने के चीन के तरीके की आलोचना की है. इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस विषय पर चीन की आलोचना की थी.
हेली ने ट्वीट किया, 'चीन अब यह दिखाने का प्रयास कर रहा है कि संकट से किस तरह से निपटा जाता है और वह उसका सटीक उदाहरण है जबकि सच्चाई यह है कि उसके शुरुआती कदमों के कारण ही वायरस दुनिया भर में फैल गया.' हेली ने अपनी इस टिप्पणी के लिए एक अध्ययन का संदर्भ दिया कि अगर चीनी प्राधिकारियों ने जो कार्रवाई की, वह उन्होंने तीन हफ्ते पहले की होती तो कोरोना वायरस के मामले 95 प्रतिशत तक कम हो सकते थे और उसका वैश्विक प्रसार सीमित हो जाता.