चीन की सीमा पर 1962 के बाद पहली बार हवाई जहाज से टैंक पहुंचाए गए, सबसे शक्तिशाली 'भीष्म' टैंक-T 90 तैनात

Posted By: Himmat Jaithwar
6/25/2020

नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बढ़ गया है। भारतीय सेना ने अपना सबसे शक्तिशाली T-90 टैंक (जिसे भीष्म के नाम से पुकारा जाता है) चीन की सीमा पर तैनात कर दिया है। इस टैंक को हवाई जहाज के जरिए लद्दाख पहुंचाया गया। इससे पहले T-72 बैंकों का एक बेड़ा पहले से ही चीन की सीमा पर तैनात कर दिया गया है। हवा में दुश्मन के जहाजों को मार गिराने में समर्थ अत्याधुनिक एंटी एयरक्राफ्ट गन और सैनिकों का एक विशेष दस्ता भी पहुंच चुका है। 1962 के बाद यह पहली बार है जब चीन की सीमा पर हवाई जहाज के माध्यम से टैंक पहुंचाए गए।

T-90 TANK चुशूल और गलवन सेक्टर में तैनात

सैन्य सूत्रों ने बताया कि चंडीगढ़, श्रीनगर समेत देश के विभिन्न हिस्सों से वायुसेना सी-17 ग्लोब मास्टर और रूस निर्मित आइएल-76 जहाजों के जरिए टैंक, एंटी एयर क्राफ्टगन समेत कई भारी हथियारों के अलावा सैनिकों के विशेष दस्तों को लेह पहुंचा रही है। लद्दाख में बीते एक सप्ताह के दौरान टी-90 टैंक भी पहुंचाए गए हैं। इन्हें चुशूल और गलवन सेक्टर में तैनात कर दिया गया है। 


सैन्य सूत्रों ने बताया कि इस समय सेना की तीन आ‌र्म्ड रेजिमेंट लद्दाख में हैं। एक आ‌र्म्ड रेजिमेंट का दस्ता पहले से मौजूद था। तीन आ‌र्म्ड रेजिमेंट की तैनाती से हालात का अनुमान लगाया जा सकता है। दरअसल, लद्दाख का अधिकांश इलाका पहाड़ी और दुर्गम है। चुशूल और दमचोक जैसे कुछ समतल इलाके भी हैं, जिनमें टैंक बहुत कारगर होंगे। 

दुनिया के सबसे अचूक टैंक में शुमार है भीष्म

भीष्म को दुनिया के सबसे अचूक टैंक में एक माना जाता है। चीन ने एलएसी के पार अपने मुख्य बेस पर बख्तरबंद गाड़ियों के साथ टी-95 टैंक तैनात किए हैं, जो किसी तरह से भीष्म से बेहतर नहीं हैं। टी-90 टैंक शुरू में रूस से ही बनकर आए थे। बाद में इनका उन्नत रूप तैयार किया गया।

यह है भीष्म की खासियत

-एक मिनट में आठ गोले दागने में समर्थ यह टैंक जैविक व रासायनिक हथियारों से निपट सकता है।
-इसका आ‌र्म्ड प्रोटेक्शन दुनिया में बेहतरीन माना जाता है, जो मिसाइल हमला रोक सकता है।
-एक हजार हार्स पावर इंजन की क्षमता वाला यह टैंक दिन और रात में लड़ सकता है।
-छह किमी की दूरी तक मिसाइल भी लांच कर सकता है।
-दुनिया के सबसे हल्के टैंकों में शुमार, वजन सिर्फ 48 टन।
-यह 72 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ सकता है।
-दमचोक और चुशूल की रेतीली व समतल जमीन पर तेज दौड़ने में सक्षम

18000 फुट की ऊंचाई पर भी टैंक संचालित कर चुकी सेना

लद्दाख में समुद्रतल से करीब 12 हजार से 14 हजार फुट की ऊंचाई पर ही टैंक इस्तेमाल किए जाने की संभावना है, लेकिन भारतीय सेना पिछले कुछ वर्षो में युद्धाभ्यास के दौरान 18 हजार फुट की ऊंचाई पर भी टैंक सफलतापूर्वक संचालित कर चुकी हैं। लद्दाख में टैंक रेजिमेंट (जिसे आ‌र्म्ड रेजिमेंट भी कहते हैं) की बढ़ती ताकत और मौजूदगी चीन के हौसले पस्त करने वाली है। 

1962 के बाद पहली बार हवाई जहाज से पहुंचाए गए टैंक

वर्ष 1962 के बाद पहला अवसर है जब लद्दाख में टैंक व अन्य भारी साजो सामान को हवाई जहाज के जरिए पहुंचाया गया है। वायुसेना ने 1962 के युद्ध के दौरान 30 लांसर के छह एएमएक्स हल्के टैंक पहुंचाए थे। उन्हें भी चुशूल में ही तैनात किया गया था। इसके बाद 1990 के दशक में आइएल-76 विमान के जरिए टी-72 टैंक और बीएमपी-1/2 मैकेनाइज्ड इनफेंटरी कंबैट व्हिकल पहुंचाए गए थे।



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