भोपाल. कोरोना संक्रमण के बीच राजधानी में सर्दी, खांसी, बुखार, अस्थमा (सारी- सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस) और इनफ्लूएंजा के 13 हजार 932 मरीज मिले हैं, जाे पूरे प्रदेश में सर्वाधिक हैं। क्लीनिक में जांच के बाद सभी काे इलाज के लिए इंस्टीट्यूशनल क्वारेंटाइन और हाेम आइसोलेट किया गया है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने इन मरीजाें की निगरानी एप के मार्फत शुरू कर दी है। यह खुलासा एमपी काेविड- 19 मैनेजमेंट की रिपाेर्ट में हुआ है।
रिपाेर्ट के मुताबिक भाेपाल में 1 जून काे अनलाॅक-1 की शुरुआत के साथ ही अलग-अलग क्षेत्राें के सरकारी अस्पतालाें में 50 फीवर क्लीनिक शुरू की गई थी, ताकि सर्दी, खांसी, बुखार, सांस रोग, वायरल फीवर और इनफ्लूएंजा पेशेंट काे घर के नजदीक ही जांच अाैर इलाज की सुविधा दी जा सके। इन क्लीनिक्स में राेजाना अाैसतन 605 मरीज, सारी और इनफ्लूएंजा की शिकायत लेकर पहुंचे। इन्हें काेविड- 19 का खतरा सबसे ज्यादा था, क्योंकि ये सभी जांच में सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित पाए गए थे।
स्वास्थ्य संचालनालय के अफसरों ने बताया कि फीवर क्लीनिक्स पर जांच के बाद रोज 100 से ज्यादा मरीजों को क्वारेंटाइन सेंटर में भर्ती कर इलाज दिया गया। जबकि स्थिर सेहत वाले मरीजों को क्लीनिक की ओपीडी से क्वारेंटाइन सेंटर भेजने के बजाय होम आइसोलेशन में शिफ्ट कराया गया। साथ ही संबंधितों की निगरानी का जिम्मा क्षेत्रीय आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को साैंपा, जिससे इनफ्लूएंजा और सारी पीड़ित मरीज, होम आइसोलेशन से बाहर निकलकर दूसरे स्वस्थ लोगों को बीमार न करें।
ऐसे 50 फीसदी मरीज पूरी तरह स्वस्थ हुए
सीएमएचओ डाॅ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि भोपाल में मिले सर्दी, खांसी, बुखार, सांस रोग, अस्थमा और इनफ्लूएंजा पीड़ित 50 फीसदी मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हा़े चुके हैं। इसकी वजह संबंधितों द्वारा बीमारी की शुरुआत में ही जांच और इलाज कराना है।
मलेरिया और डेंगू का भी हाेगा डोर टू डोर सर्वे
राजधानी में मानसून की आमद के साथ ही मलेरिया और डेंगू के मरीज भी बढ़ने लगे हैं। ऐसे मरीजों की पहचान के लिए जिला प्रशासन कोविड-19 के साथ ही डेंगू, मलेरिया व अन्य बुखार का सर्वे भी करवाएगा। शनिवार से यह सर्वे शुरू होने की संभावना है। डोर टू डोर सर्वे में 500 टीमें काम करेंगी। यह टीमें पूरा भोपाल कवर करेंगी। सर्वे टीमों में करीब डेढ़ हजार कर्मचारी काम करेंगे। ये घर-घर जाएंगे और जानकारी एकत्रित करेंगे।