मुकेश के बाद छोटे भाई भी कर्जमुक्त होने की राह पर, इस वित्त वर्ष के अंत तक रिलायंस इंफ्रा पर कोई कर्ज नहीं होगा- अनिल अंबानी

Posted By: Himmat Jaithwar
6/24/2020

मुंबई. मुकेश अंबानी के रिलायंस इंडस्ट्रीज को कर्जमुक्त करने के बाद अब उनके छोटे भाई अनिल अंबानी भी उसी राह पर हैं। उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष के अंत तक रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर पर कोई कर्ज नहीं होगा। इस दौरान प्रमोटर्स कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएंगे। वे कंपनी की वार्षिक आम सभा (एजीएम) में बोल रहे थे। अनिल अंबानी के इस बयान के बाद रिलायंस इंफ्रा का शेयर 5 प्रतिशत बढकर 30.45 रुपए पर बंद हुआ।

कंपनी में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 14.70 प्रतिशत है

अंबानी ने कंपनी की सालाना आम बैठक ऑन लाइन की। उन्होंने शेयरधारकों से कहा कि मुझे आपकी कंपनी के भविष्य पर भरोसा है। मैं कहना चाहूंगा कि प्रमोटर्स की योजना समय के साथ कंपनी में लागू रेगुलेटर के दिशा-निर्देशों के तहत शेयरहोल्डिंग बढ़ाने की है। कंपनी में प्रमोटर्स की होल्डिंग घटकर 14.70 प्रतिशत रह गई है। इसके बाद कर्जदाताओं ने कंपनी के शेयरों को गिरवी रख लिया था। अंबानी ने कहा कि मैं इस बात को दोहराना चाहूंगा कि इस वित्त वर्ष के दौरान चल रही विभिन्न पहल (monetization initiatives) के जरिए हम कर्ज मुक्त कंपनी बन जाएंगे।

कंपनी के पास 65,000 करोड़ रुपए की संपत्ति है

उन्होंने कहा कि कंपनी के पास 65 हजार करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति, 11,000 करोड़ रुपए से अधिक की नेटवर्थ और 5,000 करोड़ रुपए से अधिक का कैशफ्लो है। इसमें 60 हजार करोड़ रुपए की प्राप्तियां (receivables) रेगुलेटर और मध्यस्थता मामलों में फंसी हुई हैं जो 5-10 वर्षों से लंबित हैं। अंबानी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि जल्द ही बाजारों में कारोबार के सही वैल्यू को पहचान लिया जाएगा। एडीएजी समूह की कंपनियां-रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर, रिलायंस कम्युनिकेशंस ने लोन पर डिफॉल्ट किया है।

कंपनी पैसा जुटाने के लिए असेट्स बेचने की कोशिश कर रही है

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर अपनी कर्ज संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए फंड जुटाने के लिए असेट्स बेचने की कोशिश कर रही है। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का बॉटमलाइन दबाव में रहा है। अंबानी ने इस साल के लिए अपना कमीशन और सैलरी छोड़ने का फैसला किया है। अंबानी ने यह भी कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और तीन चीनी कर्जदाता द्वारा उनके खिलाफ दायर मुकदमे व्यक्तिगत उधारी से संबंधित नहीं थे। वे कॉर्पोरेट लोन थे और वह कर्जदाताओं के दावों के खिलाफ खुद का बचाव कर रहे हैं और आरकॉम का समाधान इस मामले को सुलझा लेगा।



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