रतलाम (तेज़ इंडिया)। कोरोना और लाँक डाउन के संकट भरे दौर में जहां एक और प्रधानमंञी गरीबो के लिए कल्याण की योजना चला रहे और मुख्यमंञी कमजोर तबके की बसाहट के तमाम प्रयास कर रहे है वही रतलाम के सुपारीबाज अफसर गरीबो को बैदखल करने में जुटे हैं।
जिला मुख्यालय से कुछ दूर पर स्थित ग्राम धराड़ में टापरी बनाकर रहने वाले एक गरीब परिवार ने अपनी आजीविका के साधन बने पशुओं का बाड़ा बना रखा था, जिसे निनामा पटवारी ने नियमो का हवाला देकर जेसीबी के माध्यम से तुड़वा दिया।
पटवारी की उस करतूत का विरोध करते हुए यह परिवार एक छोटी बच्ची ओर आठ माह का गर्भधारण किए पत्नी व पशुओं को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुच गया। परिवार अपनी व्यथा कलेक्टर को सुनाना चाहता था मगर कलेक्टर वहां नही थे, मगर एडीएम जमुना भिडे वहा उपस्थित थीं। एडीएम को उस मामले की सूचना पहुचाई तो वह नही आई और इस गरीब परिवार से मिले बिना ही अपने घर लौट गई।
जब एडीएम को पता चला कि वहाँ मीडिया भी मौजूद है तो उन्होंने तहसीलदार को वहाँ पहुचाया।
काफी समय तक तो अधिकारी पीड़ित को गलत बताते रहे लेकिन फिर कार्यवाही का आश्वाशन देकर उन्हें घर छुड़वाया।
लाँक डाउन का फायदा उठाकर कुछ अफसर और इनके अधीन काम करने वाला अमला भूमाफियाओं और रसूखदारों से मोटी रकम लेकर गरीबो को बेघर कर रहे हैं।