हैंडराइटिंग ने खोले सुशांत के स्वभाव के राज, एक्सपर्ट बोले-'भाग्य ने उनका बहुत साथ दिया लेकिन व्यक्तित्व ने उनका साथ कम दिया'

Posted By: Himmat Jaithwar
6/19/2020

सुशांत सिंह राजपूत के असमय निधन ने फिल्म इंडस्ट्री को हिला दिया है। सभी किसी तरह से यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या सुशांत वाकई डिप्रेशन के शिकार थे या किसी अन्य वजह से उन्होंने यह कदम उठाया। इनके सही जवाब तो शायद ही कभी मिल पाएं पर फिर भी कुछ तो समझा जा ही सकता है।

सोशल मीडिया पर पिछले दिनों अभिनेत्री श्रद्धा कपूर ने सुशांत की हैंडराइटिंग में एक पोस्ट शेयर की थी। हैंडराइटिंग एनालिस्ट आशीष जौहरी ने इस राइटिंग के जरिए सुशांत के मन को समझने की कोशिश की है। आशीष जौहरी ने पिछले 12 वर्षों में सैकड़ों हैंडराइटिंग सैंपल का अध्ययन किया है। 

आशीष ने कहा, 'चूंकि यह हैंडराइटिंग सैंपेल पुराना है अतः उस समय के उनके मन की स्थिति ही इससे ज़्यादा स्पष्ट होगी। मृत्यु पूर्व की स्थिति जानने के लिए उस समय का हैंडराइटिंग सेंपल लगेगा। अतः इस उपलब्ध सेंपल के माध्यम से जो थोड़ी बहुत चीज़ें स्पष्ट हो पा रही हैं जिनके बारे में जानते हैं।

एनालिसिस

सुशांत बहुत ही अच्छी पसंद वाले व्यक्ति थे। संगीत से उनका गहरा नाता साफ दिख रहा है। ऐसे लोग सामान्यतः जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना बहुत अच्छे से करते हैं। उनका फोकस बहुत स्ट्रॉन्ग था और कंसंट्रेशन बहुत ही उम्दा। उनके गोल काफी ऊंचे थे मगर वो स्वप्नलोक में रहने वाले व्यक्ति नहीं दिखते। गोल को अचीव करने की ऊर्जा भी उनमें भरपूर थी। उनकी ऊर्जा बहुत अच्छे से उनके दिन में समायोजित होती थी। किसी बेकार चीज़ में टाइम बर्बाद करने की प्रवृत्ति तो नहीं के बराबर है।

ऐसा था सुशांत का स्वभाव: वो बहिर्मुखी नहीं थे। अंतर्मुखी भी नहीं थे। बीच का स्वभाव उनका था। हां अपने को काफी कंट्रोल में रखते थे। इस तरह के लोग जब अपने को प्रकट करते हैं तो एकदम विस्फोट होता है। नहीं बोलेंगे तो नहीं बोलेंगे, बोला अगर तो चिल्ला बैठे। कुछ इस तरह का स्वभाव था उनका। काफी बुद्धिजीवी तरह के व्यक्ति थे। विज्ञान, दर्शन और आध्यात्म की तरफ उनका झुकाव था। क्योंकि वो बहुत ऊंचा सोच सकते थे। बहुत साफ-साफ कहने वाले और वर्सटाइल भी थे। बहुत सारे काम बहुत सुंदर तरीके से वो करते होंगे।

दुनिया से किनारा कर लेने वाली थी प्रवृत्ति:  आशीष आगे बताते हैं, 'वो जैसे थे बिलकुल उसी तरीके से दुनिया के सामने प्रस्तुत होते थे। यह स्वभाव फिल्मी दुनिया की चालबाज़ियों से एकदम उलट है। इस स्वभाव के चलते वो काफी परेशान रहते होंगे। उनके व्यक्तित्व में विड्राल सिम्पटम भी दिख रहा है। इसे एक तरह से पीछे हटना, अपने को अलग-थलग कर लेना, दुनिया से किनारा कर लेना, आदि के तौर पर समझ सकते हैं। ऐसे व्यक्ति अधिकतर जल्दी से हतोत्साहित हो जाते हैं, जल्दी से अति-उत्साह में आ जाते हैं, जल्दी से शर्मिंदगी महसूस करने लगते हैं।

आशीष आगे बोले, 'सुशांत में थोड़ा डॉमिनेशन भी दिख रहा है। “मेरा शब्द ही अंतिम शब्द है” वाला रूतबा जमाने वाला स्वभाव भी दिख रहा है। इसके कारण हमारे आसपास के लोगों से हमारे रिश्ते खराब होने लगते हैं। इस हैंडराइटिंग सैंपल में तो किसी तरह का डिप्रेशन नहीं दिख रहा।'

बाकी लोगों से अलग थे सुशांत: आशीष जौहरी ने आगे बताया, 'सभी चीज़ें मिला के ऐसा लगता है कि उनका व्यक्तित्व फिल्म अभिनेताओं जैसा बिलकुल भी नहीं था। उनका स्वभाव भी ऐसा था कि वो एडजस्ट कम कर पाते थे। चालाकियां करके काम निकलवाना उनके स्वभाव का हिस्सा नहीं था। भाग्य ने उनका बहुत साथ दिया। उनके व्यक्तित्व ने उनका साथ कम दिया।'



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