हाईकोर्ट से प्राइवेट स्कूलों की फीस नियंत्रित करने वाले आदेश पर स्टे, अब ट्यूशन फीस के अलावा जरूरी खर्च भी पेरेंट्स को जमा कराना होगा

Posted By: Himmat Jaithwar
6/17/2020

भोपाल. प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में अब अभिभावकों को ट्यूशन फीस के अलावा स्कूल के इन्कर्ड एक्सपेंसेज (जरूरी खर्च) भी जमा कराने होंगे। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने मंगलवार को राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस के अलावा अन्य सभी शुल्क लेने पर रोक लगा दी गई थी। हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों के संगठन एसोसिएशन ऑफ यूनाइटेड सीबीएसई स्कूल की याचिका पर सुनवाई करते हुए 24 अप्रैल और 16 मई को सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेशों को स्टे कर दिया है। हाईकोर्ट ने सरकार से इस संबंध में 4 सप्ताह में जवाब तलब किया है। केस की अगली सुनवाई 28 जुलाई को तय की गई है।

जस्टिस एससी शर्मा की एकलपीठ ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि लॉकडाउन या जब तक स्कूल बंद हैं तब तक प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से ऐसे किसी भी कार्य (अनइन्कर्ड एक्सपेंसेज) का शुल्क नहीं ले सकेंगे, जिस पर उन्हें कोई खर्च नहीं करना पड़ा है, जैसे बस ट्रांसपोर्ट या मैस सर्विसेज आदि। गौरतलब है कि राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग ने सीबीएसई के 17 अप्रैल 2020 के सर्कुलर को आधार बनाते हुए 24 अप्रैल और 16 मई को सभी कलेक्टरों को प्राइवेट स्कूलों की फीस से संबंधित दो आदेश जारी किया था।

पहले आदेश में प्राइवेट स्कूलों द्वारा कोई भी फीस नहीं बढ़ाए जाने और 30 जून तक फीस जमा नहीं करने पर किसी का भी एडमिशन निरस्त नहीं करने के निर्देश दिए थे। दूसरे आदेश में शैक्षणिक सत्र (2020-21) के लिए लॉकडाउन अवधि में ट्यूशन फी के अलावा कोई भी अतिरिक्त शुल्क नहीं लिए जाने के निर्देश दिए गए थे। इन्हीं दोनों आदेश को एसोसिएशन ऑफ यूनाइटेड सीबीएसई स्कूल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। 

एसोसिएशन ऑफ यूनाइटेड सीबीएसई स्कूल की दलील है कि राज्य सरकार को उनकी फीस निर्धारण का अधिकार नहीं हैं। क्योंकि प्रदेश में ऐसा कोई कानून ही नहीं है जिसके तहत सरकार प्राइवेट स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के लिए बाध्य कर सके। प्राइवेट स्कूल संगठन के अधिवक्ता पीयूष माथुर और गौरव छाबड़ा ने दलील दी कि सिर्फ ट्यूशन फीस से प्राइवेट स्कूलों का संचालन नहीं हो सकता है।

यदि सरकार का यह आदेश अमल में लाया गया तो कई प्राइवेट स्कूल खर्च नहीं उठा पाने के कारण बंद होने की स्थिति में आ जाएंगे। वर्ष 2017 के पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इसी तरह के एक विवाद पर अभिभावकों को छह-छह माह के अंतराल पर वर्ष में दो स्टॉलमेंट में फीस चुकाने की छूट दी गई थी। हाल ही में उत्तराखंड राज्य में ऐसा ही विवाद सामने आया है, जो सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है, उसमें सिर्फ ऐसे कार्यों की शुल्क वसूली पर रोक लगाई गई है, जिसमें कोई खर्च स्कूलों को नहीं करना पड़ा है। 

एसोसिएशन ऑफ यूनाइटेड सीबीएसई स्कूल का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीएसई से संबंधित प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से ट्यूशन फीस के अलावा एनुअल चार्जेज आदि भी लॉकडाउन के दौरान ले सकेंगे। स्कूल फीस प्राप्त नहीं होने की स्थिति में एडमिशन निरस्त कर सकेंगे। 30 जून तक फीस नहीं जमा कराने वालों  के एडमिशन निरस्त नहीं करने का आदेश रद्द होने के बाद प्राइवेट स्कूल अब इसके लिए स्वतंत्र हैं। इस याचिका में सीबीएसई और मप्र पेरेंट एसोसिएशन भी शामिल है।



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