रायपुर। राज्यसभा निर्वाचन के लिए आज नाम वापसी की अन्तिम तिथि के बाद विधानसभा में रिटर्निग अधिकारी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपस्थिति में फूलोदेवी नेताम और के.टी.एस. तुलसी के निर्वाचन प्रमाण पत्र प्रदान किए।
फूलोदेवी नेताम ने स्वयं और के.टी.एस. तुलसी का प्रमाण पत्र उनकी अनुपस्थिति में नगरीय विकास मंत्री डॉ शिव डहरिया ने ग्रहण किया। संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, विधायक मोहन मरकाम सहित अनेक जनप्रतिनिधि इस अवसर पर उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ के दो राज्यसभा सदस्य केटीएस तुलसी और फूलो देवी नेताम का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया था। 73 वर्षीय तुलसी, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।
फरवरी 2014 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ने तुलसी को राज्यसभा सदस्य के रूप में नामित किया गया था।
7 नवंबर 1947 को होशियारपुर (पंजाब) में पैदा हुए तुलसी ने पंजाब विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। और 1971 में विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1973 से 1976 तक तुलसी ने अंशकालिक व्याख्याता के रूप में काम किया बाद वे वकालत के पेशे में आ गए।
1980 में तुलसी ने क्रिमिनल केसेस की प्रैक्टिस शुरू की। 1990 में वे भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नामित किए गए। 1994 से अब तक वह आपराधिक न्याय सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं। सर्वोच्च न्यायालय में उन्होंने दस से अधिक बार भारत सरकार का प्रतिनिधित्व किया है।
तुलसी ने दिल्ली में अपहर सिनेमा अग्निकांड के पीड़ितों को न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाई। साथ ही 1993 के दिल्ली आतंकी हमले के दोषी देविंदर पाल सिंह भुल्लर को मौत की सजा दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। वे तब ज्यादा चर्चा में आए जब उन्होंने सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व करने से इंकार कर दिया था।
फूलों की घाटी से राज्यसभा तक का सफर
बस्तर में फूलों की घाटी के नाम से चर्चित केशकाल की फूलोदेवी नेताम अब राज्यसभा जाएंगी। महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष फूलोदेवी ने राज्यसभा उम्मीदवार के लिए दिल्ली दरबार में जोरदार लाबिंग की। परिणामस्वरूप आलाकमान ने एकबार फिर आदिवासी कार्ड खेलकर सर्वाधिक संख्या वाले वर्ग को संतुष्ट कर दिया है।
गोंड आदिवासी समाज की फूलोदेवी नेताम का जन्म 10 जनवरी 1972 को हुआ। 1993-94 में वह मात्र 22 साल की उम्र में फरसगांव की जनपद अध्यक्ष बनकर राजनीति में पहला कदम रखीं। 1998 में केशकाल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर विधायक चुनी गईं।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2003 में वह दोबारा इसी सीट से चुनाव मैदान में उतरीं लेकिन परिवर्तन की लहर में वह अपना सीट नहीं बचा पायी। 2005 में वह बस्तर जिला पंचायत की अध्यक्ष निर्वाचित हुई। जिला पंचायत अध्यक्ष रहते कांग्रेस ने 2009 में उन्हें कांकेर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ाया, जहां वे भाजपा के सोहन पोटाई से 19 हजार वोटों से हार गर्इं।
इसके पहले 2008 से लेकर अब तक हुए सभी विधानसभा चुनावों में वह केशकाल सीट से विधायक का चुनाव लड़ने कांग्रेस से टिकट की मांग करती रहीं, लेकिन मौका नहीं मिला। फूलोदेवी बस्तर संभाग की पहली नेता हैं, जो राज्यसभा जा रही हैं। बस्तर के किसी भी नेता को अब तक राज्यसभा में प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिला है।