नई दिल्ली. लद्दाख की गलवान घाटी में तैनात एक वरिष्ठ अफसर ने भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प का आंखों देखा हाल भास्कर संवाददाता मुकेश कौशिक को बताया। उन्होंने कहा- ‘करीब 15 हजार फीट ऊंचाई पर स्थित गालवन घाटी के घटनास्थल पर सोमवार शाम 4 बजे से आधी रात तक करीब 8 घंटे हिंसा हुई। लाेहे की राॅड से लैस चीनी सैनिकों ने साजिश रचकर भारतीय जवानाें पर हमला बाेल दिया।
भारतीय सैनिक ऐसे किसी हमले के लिए तैयार नहीं थे। भारत और चीन के कोर कमांडरों में 6 जून को सहमति बनी थी कि सेनाएं मौजूदा स्थिति से 2-3 किलोमीटर पीछे हटेंगी। इसके तहत चीन के सैनिकों को एलएसी की पोस्ट-1 पर जाना था। यह प्रक्रिया सात दिन से जारी थी।
पेट्रोल पॉइंट-14 के पास दोनों सेनाओं के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई
प्रोसेस की पुष्टि के लिए दोनों सेनाओं ने अपनी-अपनी टीमें लगा रखी थीं। सोमवार दोपहर से भारतीय सेना के कमांडिंग ऑफिसर के साथ 10 सैनिक पैट्रोल पाॅइंट-14 के पास चीनी सैनिकों के लाैटने की निगरानी कर रहे थे। करीब 20 चीनी सैनिकों काे यहां से हटना था, लेकिन जब चीनी सैनिक अपनी जगह से नहीं हटे तो झड़प शुरू हो गई। चीनी सैनिकों ने अचानक भारतीय कमांडिंग ऑफिसर पर हमला बोल दिया। उन्हें गिराकर लोहे की राॅड से हमला किया।
चीन की ओर से 800 सैनिक जमा हो गए थे
भारतीय सैनिकों ने भी जवाबी कार्रवाई की। कुछ मिनट बाद चीन की दूसरी गश्त वहां पहुंच गई। फिर भारतीय सेना की दूसरी गश्त भी पहुंची। इसके बाद एक-एक करके टुकड़ियां आती गईं। चीन की ओर से करीब 800 सैनिक जमा हो गए। भारत के सैनिक कम थे। शाम छह बजे तक दोनों ओर के सैनिकों के बीच घमासान होने लगा था।
सैनिक पत्थर, लाठी और लोहे की राॅड से एक-दूसरे पर हमला कर रहे थे। इसके कारण एक छोटे से रिज पर भगदड़ की नौबत आ गई। रात के अंधेरे में कई सैनिक रिज से गालवन नदी में गिर गए।
रिज टूटने से चीन के 40-50 जवान भी खाई में गिरे
रिज टूटने की वजह से चीन के भी 40 से 50 जवान खाई में गिर गए। भारतीय सेना के भी कुछ जवान लापता हैं। अभी यह पता नहीं कि वे नदी में गिर गए या चीनियों के कब्जे में हैं। यह भी खबर है कि चीन का एक कमांडिंग ऑफिसर भी इस दौरान मारा गया या नदी में गिर गया।
दिल्ली और बीजिंग के बीच हॉटलाइन पर बातचीत होती रही
सैनिकों के बीच समूहों में झड़पें रात तक चलती रहीं। दोनों सेनाओं के जवान एक-दूसरे का पीछा कर हमला करते रहे। रात 12 बजे के बाद मामला शांत हुआ। दूसरी ओर, दोनों सेनाओं ने अपने-अपने जवानों की तलाश भी जारी रखी। इस दाैरान नई दिल्ली और बीजिंग के बीच हॉटलाइन पर भी बातचीत होती रही।
मंगलवार सुबह फिर दोनों सेनाओं के शीर्ष अधिकारियों ने शांति बनाए रखने के लिए बैठकें शुरू कीं। देर शाम 5 बजे एलएसी पर चीनी सेना के हेलिकॉप्टर अपने जवानों के शव ले जाने के लिए पहुंचे थे।