भोपाल, खराब समय को सकारात्मक कैसे बनाया जाए?... इसका जवाब आपको भदभदा रोड स्थित आदिवासियों के केकड़िया गांव में मिल सकता है। लॉकडाउन के दौरान जब कई मजदूर पलायन का दंश झेल रहे थे, तभी यहां के ग्रामीण अपने भविष्य को आसान बनाने में जुटे हुए थे। लॉकडाउन में यहां भी 200 से ज्यादा परिवारों के सामने रोजी- रोटी का संकट था। लेकिन एनएलआईयूू में पढ़ाई कर रहे यहां के एक युवक मुकेश तोमर की पहल पर ग्रामीणों के लिए न केवल मजदूरी का इंतजाम हो गया, बल्कि गांव का 30 साल पुराना कुआं फिर जिंदा हो गया।
यह भी फायदा
मुकेश ने बताया कि इस कुएं से करीब आधा किमी दूर पीएचई का ओवरहेड टैंक है। लेकिन बोरिंग में पानी नहीं मिलने से यहां से पानी सप्लाई नहीं हो रहा है। मुकेश ने ग्राम पंचायत के माध्यम से पीएचई से चर्चा की है कि इस कुएं से टैंक को जोड़ दिया जाए। इससे आसपास के अन्य गांवों में भी पानी सप्लाई हो जाएगा।
दानदाताओं से ढाई लाख रुपए एकत्रित किए
मुकेश ने बताया कि लॉकडाउन में गांव आया तो इस काम के लिए ग्रामीणों से बात की तो सभी तैयार हो गए। मुकेश और उसके साथियों ने दानदाताओं से लगभग ढाई लाख रुपए इकट्ठा किए। दस लोगों की रोजाना 250 रुपए के हिसाब से मजदूरी तय हुई। तय हुआ कि मजदूर रोटेशन में काम करेंगे ताकि सबको सबको कुछ पैसा मिल सके। एक क्रेन का इंतजाम हुआ, जिसका किराया 1200 रुपए रोजाना तय हुआ।