खजुराहो. 24 मार्च को जब देश में लॉकडाउन लगाया गया तब खजुराहो में 17 विदेशी पर्यटक थे। जिसमें से पांच अभी भी यहीं है। इन्हीं में से एक हैं छह फुट लंबे 47 साल के ईवन जोल्बा। ईवन नीदरलैंड के रोत्रदम से भारत घूमने आए थे और 17 मार्च को खजुराहो पहुंचे थे। उनके साथ उनकी गर्लफ्रेंड इरेने भी आईं थी लेकिन वो खजुराहो से पहले ही अपने देश लौट गईं।
कार बॉडी रिपेयरिंग का बिजनेस करने वाले ईवन पहले होटल रमाडा में रुके थे लेकिन अब वे योगी आश्रम में ठहरे हैं। रमाडा में हर दिन का 3500 रुपए किराया था जबकि योगी आश्रम में यह 700 रुपए ही है। एक्टिवा पर खजुराहों की गली-गली सैर करने वाले ईवन एक पहाड़ी पर घूमने गए थे, हमने फोन किया तो वे एक्टिवा से ही मिलने आ गए।
ईवन कहते हैं कि उन्हें इस जगह से प्यार हो गया है और अब वे बुंदेलखंडी भाषा सीख रहे हैं। वे साढ़े चार बजे सुबह उठ जाते हैं, दो घंटे योग करते हैं। उसके बाद गायंत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप दो घंटे करते हैं। इसके बाद गाय को चारा डालते हैं और कुत्तों को खाना खिलाते हैं। यहां से जाने के सवाल पर कहते हैं कि मैं अब यहां से जाने की नहीं सोचता, फिर थोड़ा रुक कर कहते हैं कि जब खजुराहो-दिल्ली और इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू होगी तब जाने के बारे में सोचेंगे।
खजुराहो मंदिरों पर बीते 77 दिनों से ताला पड़ा हुआ है
प्रसिद्ध खजुराहो मंदिरों पर बीते 77 दिनों से ताला लगा हुआ है। ताला मंदिरों पर ही नहीं यहां के स्थानीय कारोबार और पर्यटन से जुड़े आमलोगों की आमदनी पर भी लग गया है। करीब 17 हजार आबादी वाले पर्यटन केंद्र की गलियां, बाजार, चौराहे, होटल, हैंडीक्राफ्ट की दुकानें और मंदिर सूने पड़े हैं। छतरपुर से 45 किलो मीटर दूर ऊबड़-खाबड़ फोरलेन के सूने रास्ते पर दो-चार गाड़ियां ही खजुराहो जाते हुए मिलीं।
एएसआई के मुताबिक, फरवरी में यहां 25,290 भारतीय और 5,745 विदेशी पर्यटक आए थे। जबकि यहां आने का पीक सीजन अगस्त से जनवरी तक का होता है। भगवान शिव और विष्णु के मंदिर को देखने के लिए आने वालों से गुलजार रहने वाले खजुराहो की गलियाें में सन्नाटा पसरा है।
अंतरराष्ट्रीय टूरिज्म सलाहकार और होटल व्यवसायी सुधीर शर्मा कहते हैं कि जो भी पर्यटक पहले खजुराहो आते थे वे सिर्फ खजुराहो ही नहीं आते थे बल्कि पन्ना नेशनल पार्क, महोबा, मैहर, चित्रकूट, छतरपुर भी जाते थे। अब सब बंद हो गया है। खजुराहो और आसपास का पर्यटन ठप हो गया है। इससे जुड़े 17 से18 हजार रोजगार सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं।
वे कहते हैं कि अकेले खजुराहो में ही 120 गाइड, 36 टैक्सी ऑपरेटर, 150 टैक्सी, छह फाइव स्टार होटल, 20 अन्य होटल, 60-65 गेस्ट हाउस और 32 होम स्टे हैं। 10-12 हैंडीक्राफ्ट की दुकानें और स्थानीय बाजार हैं, जो एकदम सूने हैं।
उन्होंने बताया कि एक गाइड को चार घंटे के 800 रुपए मिलते थे और वह दिन में दो पार्टियों को घुमा लेता था। साथ ही टिप और स्थानीय दुकानदारों से साझेदारी से पर्यटकों के द्वारा खरीदे जाने वाले सामान में कमीशन आदि से गाइड को अच्छी कमाई हो जाती थी। लेकिन अभी आमदनी शून्य है।
सुधीर बताते हैं, खजुराहो में कुल 84 मंदिर थे, इनमें से 22 अभी सही स्थिति में हैं। कम से कम दो महीने पहले की बुकिंग हमारे यहां हो जाती थी। जून में तो दिसंबर और न्यू ईयर के लिए भी बुकिंग आनी शुरू हो जाती थी लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद भी अभी तक एक भी रूम की बुकिंग नहीं हुई है।
टूर ऑपरेटर विजय कुमार रजक कहते हैं कि एक टैक्सी मालिक आराम से 25 से 30 हजार रुपए महीना कमाता था लेकिन अभी लॉकडाउन खुलने के इंतजार के सिवाय कुछ नहीं है। लॉकडाउन खुल भी जाएगा तो विदेशी पर्यटक जल्द नहीं आएंगे।
60 से अधिक देशों में लकड़ी, पत्थर और धातुओं की 50 रुपए से लेकर पांच लाख रुपए तक की मूर्तियां बेचने वाले गणपति पैलेस के योगेश जैन कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण बीते 80 दिनों से एक मूर्ति की भी बिक्री नहीं हो पाई है। मार्च से अभी तक बिक्री बंद है जबकि पिछले साल हर माह करीब 50 हजार रुपए की मूर्ति बेच देते थे।
खजुराहो डेस्टिनेशन वेडिंग का भी एक बड़ा केंद्र बन गया था, लॉकडाउन के दौरान वह भी ठप है। फाइव स्टार होटल चैन के जनरल मैनेजर कहते हैं कि लॉकडाउन नहीं होता तो इस समय हमारे होटल में आधे रूम इंटरनेशनल गेस्ट से भरे होते। हमारे यहां डोमेस्टिक गेस्ट भी आते थे। जब से लॉकडाउन हुआ है चार डेस्टिनेशन वेडिंग की बुकिंग कैसिल हो चुकी हैं।