सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राज्यसभा के लिए नामित किए जाने के बाद जहां विपक्ष हमलावर है। ऐसे में रंजन गोगोई ने कहा कि शायद मैं कल दिल्ली जाऊंगा। पहले मुझे शपथ ले लेने दीजिए फिर मैं मीडिया से विस्तार में बात करूंगा कि मैंने ये क्यों स्वीकार किया और मैं राज्यसभा क्यों जा रहा हूं।
रंजन गोगोई को नामित किए जाने के बाद कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला, कपिल सिब्बल और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े किए हैं तो पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने उम्मीद जताई कि गोगोई इस प्रस्ताव को ठुकरा देंगे। हालांकि, रंजन गोगोई मीडिया से बातचीत में पहले ही कह चुके हैं कि राष्ट्रपति के प्रस्ताव को उन्होंने स्वीकार कर लिया है।
कपिल सिब्बल ने ट्विटर पर कहा कि न्यायमूर्ति गोगोई राज्यसभा जाने की खातिर सरकार के साथ खड़े होने और सरकार एवं खुद की ईमानदारी के साथ समझौता करने के लिए याद किए जाएंगे। वैसे, यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि रंजन गोगोई 12 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य सीनियर जजों के सात संयुक्त रूप से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के तौर-तरीकों को लेकर सार्वजनिक तौर पर सवाल खड़े करके चर्चा में आए थे। इसके बाद वह चीफ जस्टिस बने और राम मंदिर से लेकर सबरीमाला सहित तमाम मामलों में ऐतिहासिक फैसले दिए।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राज्यसभा के सदस्य बनेंगे। इससे पहले देश के 21वें पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंगनाथ मिश्रा ओडिशा से कांग्रेस से राज्यसभा के सांसद बने थे और उनका कार्यकाल 1998 से 2004 था। रंगनाथ मिश्रा 25 सितंबर 1990 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे और 14 महीने बाद 24 नवंबर 1991 को रिटायर हुए थे। विपक्षी पार्टियों द्वारा रंजन गोगोई पर सवाल उठाए जाने के बाद काउंटर नैरेटिव के रूप में जस्टिस रंगनाथ मिश्रा को राज्यसभा का सदस्य बनाए जाने को लेकर भी सवाल उछाले जा रहे हैं।