भोपाल. पापा को पांचवें दिन अहसास हो गया था कि उन्हें कोरोना हुआ है। वे पास की क्लीनिक और सरकारी अस्पताल गए। कोरोना टेस्ट के लिए डॉक्टरों से सैंपल लेने का आग्रह किया, लेकिन डॉक्टरों ने चार फीट दूर से देखा और सामान्य बुखार की दवाई दे दी। भोपाल रवाना होने से एक दिन पहले भी वे जब घर आए तो उन्हें 102.5 डिग्री बुखार था। मैं पापा को लेकर लालबहादुर शास्त्री अस्पताल गई, लेकिन वहां भी सैंपल नहीं लिए गए। तीन अन्य अस्पतालों के नाम बता दिए। ये कहना है 15 साल की निहारिका नेकिया का। निहारिका दिल्ली के मयूर विहार स्थित घर में अकेली है। एक दिन पहले पिता वीरेंद्र नेकिया को खो चुकी है।
मां अस्थमा अटैक के बाद वहीं के एक निजी अस्पताल में भर्ती है और भाई भोपाल के चिरायु अस्पताल में क्वारेंटाइन। पिता के साथ अस्पतालों द्वारा किए गए असंवेदनशील व्यवहार का खुलासा करते हुए उसने कहा- बुखार बढ़ने से पापा ठीक से गाड़ी भी नहीं चला पा रहे थे, हमारा रास्ते में एक्सीडेंट भी हो गया, जिससे हम दोनाें को पैर में चोट लगी। यदि समय पर उनकी जांच हो जाती और उन्हें इलाज मिल जाता तो आज वे हमारे साथ होते। कम से कम इस दौर में तो अस्पताल अपनी जिम्मेदारी समझें। उधर, भास्कर द्वारा वीरेंद्र नेकिया के साथ दिल्ली के अस्पतालों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार का खुलासा करने के बाद जिला प्रशासन ने दिल्ली सरकार को उनकी रिपोर्ट भेजी है। हालांकि बच्ची की मदद के लिए सरकार का कोई नुमाइंदा अब तक नहीं पहुंचा है।
बार-बार भाई को फोन लगाती है -15 साल की मासूम डरी सहमी घर में अकेली है। वह बार-बार अपने भाई आदित्य को फोन लगाकर किसी तरह खुद को हिम्मत देने की कोशिश कर रही है। हालांकि, पापा की माैत का गम और अपना डर भुलाने की उसकी काेशिश बारबार नाकाम हाे जाती है। वह फाेन पर बार-बार सुबक पड़ती है। आदित्य काे समझ नहीं आ रहा है कि वह कैसे खुद काे संभाले और बहन काे कैसे दिलासा दिलाए। दिल्ली सरकार की ओर से किसी ने मासूम की सुध नहीं ली है। परिचित ही निहारिका के लिए खाना आदि पहुंचा रहे हैँ।
और इधर.. निहारिका का सैंपल हुआ, आदित्य का नहीं
वीरेंद्र की माैत की जानकारी मध्यप्रदेश शासन की ओर से दिल्ली सरकार काे दी गई। इसके बाद जिम्मेदार हरकत में आए और आनन-फानन में निहारिका और उनकी मां के काेराेना के सैंपल लिए गए। अब तक जांच रिपोर्ट नहीं आई है। हालांकि, चिरायु अस्पताल के क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे आदित्य और उसके चाचा नरेंद्र के सैंपल अभी तक नहीं लिए गए हैं।
केजरीवाल सरकार की अकर्मण्यता से हुई मौत : मिश्रा
गृह , लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भोपाल निवासी वीरेंद्र की मृत्यु पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि दिल्ली-मुंबई की सरकार सिर्फ बातें कर रही हैं। यदि वे काम कर रही होती तो इस प्रकार वीरेंद्र को 5 दिन भटकना नहीं पड़ता। डॉ. मिश्रा ने बताया कि भोपाल में वीरेंद्र को समुचित उपचार देकर बचाने के पूरे प्रयास किए , लेकिन ज्यादा देरी हो जाने के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका। वीरेंद्र की मौत केजरीवाल सरकार की अकर्मण्यता के कारण हुई।