विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी है कि कई देश कोरोना वायरस के संकट को अब भी अधिक गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जबकि पूरे यूरोप और अमेरिका में इस बीमारी का प्रकोप बढ़ गया है, जहां चिकित्साकर्मियों ने अस्पताल की तैयारियों में भारी कमी को लेकर चिंता जाहिर की है।
अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को लेकर जारी आशंकाओं के बीच वैश्विक बाजारों में फिर से गिरावट दर्ज की गई है। कई देश इस बीमारी के संक्रमण को रोकने के लिए और अधिक कठोर कदम उठा रहे हैं। कोविड-19 की वजह से अब तक दुनियाभर में 3,300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 85 देशों में करीब 100000 लोग संक्रमित हैं।
इस महामारी ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार, पर्यटन, खेल कार्यक्रमों और शिक्षण संस्थानों पर कहर बरपाया है। दुनिया भर में लगभग 30 करोड़ छात्रों को अपने घर भेज दिया गया है। इसके अधिकांश मामले अभी भी चीन से सामने आ रहे हैं, जहां यह वायरस पिछले साल के अंत में उभरा था, लेकिन संक्रमण अब विदेशों में तेजी से फैल रहा है। दक्षिण कोरिया, ईरान और इटली इसके गंभीर चपेट में हैं।
डब्ल्यूएचओ ने गुरुवार (5 मार्च) को चेतावनी दी थी कि कई देश अब भी राजनीतिक स्तर की प्रतिबद्धता नहीं दिखा रहे हैं जिसकी इस खतरे के गंभीर स्तर से निपटने के लिए बेहद जरुरत है। डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने संवाददाताओं से कहा कि ''यह एक ड्रिल नहीं है। यह महामारी हर देश के लिए खतरा है, चाहे वह अमीर हो या गरीब।"
टेड्रोस ने हरेक देश की सरकारों के प्रमुखों से इसे केवल स्वास्थ्य मंत्रालयों के सहारे छोड़ देने के बजाय इसे लेकर कदम उठाने की जिम्मेदारी लेने और सभी क्षेत्रों में समन्वय करने की अपील की है।