भोपाल. चालू वित्तीय वर्ष में नीलाम की गईं प्रदेश के 41 जिलों की रेत खदानों मेें से तीन होशंगाबाद, अशोकनगर और मंडला के टेंडर राज्य सरकार ने निरस्त कर दिए हैं। इसमें सर्वाधिक बोली के साथ 216 करोड़ रुपए में उठी होशंगाबाद की रेत खदान भी शामिल है। सरकार का कहना है कि इन जिलों की खदानें लेने वाली फर्मों ने अपेक्षित राशि जमा नहीं कराई। यह करीब 100 करोड़ रुपए होती है। लिहाजा खनिज विभाग ने इनकी सुरक्षा निधि भी राजसात कर ली है। पूर्व में उज्जैन और आगर-मालवा की निविदाएं नहीं आई थीं, लिहाजा उपरोक्त तीन जिलों के साथ इन दो जिलों के भी टेंडर होंगे। गौरतलब है कि नई रेत नीति के तहत हुए टेंडर के बाद भिंड, सीहोर, दतिया, कटनी, हरदा, शिवपुरी, डिंडौरी, सिंगरौली, शहडोल, बैतूल, अलीराजपुर, ग्वाालियर, टीकमगढ़, उमरिया एवं धार जिलों में नए ठेकेदारों ने खनन प्रारंभ कर दिया है।
- टेंडर के साथ ही चर्चा में आया था होशंगाबाद
सर्वाधिक बोली लगाने के कारण होशंगाबाद की रेत खदान शुरुआत में ही चर्चा में आ गई थी। पाॅवर मैक प्रोजेक्ट लिमिटेड ने 216.9 करोड़ की बोली लगाई थी, जबकि विभाग ने निर्धारित मूल्य 100 करोड़ रुपए रखा था। अशोक नगर में नौ फर्मों ने मिलकर खदानें ली थीं, जिसमें सुरजन सिंह, लेखराज सिंह चौधरी, जय मां काली मटेरियल सप्लायर, राजेंद्र सिंह रघुवंशी, धर्मेंद्र सिंह यादव, रामकृष्ण रघुवंशी, आरके ट्रेडर्स, दाऊ स्काई स्क्रेपर प्रा.िल. व शिवा कार्पोरेशन कंपनी मुरैना शामिल थे। मंडला में सिर्फ केपी सिंह भदौरिया कांट्रेक्टर ने खदान ली थी। मंडला में भी 10 करोड़ की तुलना में 36.59 करोड़ बोली लगाई गई थी।
निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा था
विभाग का कहना है कि प्रदेश में रेत की बढ़ती मांग के कारण यह निर्णय लिया गया है। रेत की कमी के कारण सरकारी के साथ निर्माण क्षेत्रों में भी काम प्रभावित हो रहा है। साथ ही जो प्रवासी मजदूर लौटे हैं, उन्हें खदान शुरू होने के बाद काम मिलेगा। विभाग ने कलेक्टरों से कहा है कि जहां भी जिन जिलों में रेत के अनुबंध नहीं हुए हैं, वहां सरकारी कार्य के लिए रेत उपलब्ध कराने के लिए कलेक्टर अस्थाई परमिट जारी करें।
10% राशि बढ़ाकर पुराने ठेकेदारों को सौपेंगे खदान
सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं कि 31 मार्च 2020 तक इन जिलों की खदानें जो फर्म संचालित कर रही थी, उसे ही 10 फीसदी राशि बढ़ाकर खदान खनन के लिए सौंप दी जाए। पुरानी फर्म को 31 मार्च 2021 तक अथवा नए टेंडर होने तक के लिए खदान दी जाएगी। साफ है कि होशंगाबाद की खदान दोबारा शिवा कार्पोरेशन व शिवम इंटरप्राइजेज ही चलाएगी। एक-दो दिन में इसके आदेश हो सकते हैं।