कुछ ऐसी हैं आलोट के निर्दलीय प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू की कहानी
रतलाम,(तेज इंडिया टीवी)। सत्ता और कुर्सी की राजनीति में सब कुछ जायज है। इसका जीता जागता उदाहरण दल बदल की राजनीति करने वाले आलोट के निर्दलीय प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू हैं। जिन्होंने सत्ता और कुर्सी के खातिर पहले कांग्रेस, फिर भाजपा और जब कुछ ना हाथ लगा तो अब निर्दलीय प्रत्याशी बन गए। दल बादल की राजनीति करने वाले इस नेता का जनता इस विधानसभा चुनाव में कितना साथ देगी यह 3 दिसंबर को पता चलेगा।
दरअसल यह हमेशा से यह कहा जाता रहा है कि राजनीति में दिखता कुछ है और होता कुछ और है। ऐसा ही आलोट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू का हाल है। कहने को तो यह सेवा के लिए राजनीति में आए है लेकिन इनका असली मकसद कुछ और ही नज़र आता है।
गुड्डू की दल बदल कि राजनीति को देखकर अब राजनीति से जुड़े किसी जमाने में निकट रहे उनके लोग भी यह कहने लगे हैं कि गुड्डू का दूर दूर तक सेवा से कोई नाता नही दिखता क्यों की यह अपने स्वार्थ के लिए कांग्रेस में आए सांसद बने और जब इनको आलोट से विधानसभा टिकिट नही मिला तो यह भाजपा में चले गए और वहा से हार कर वापस कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
गुड्डू की नीति और नियत को देखकर ही कांग्रेस ने उन्हें इस बार भी टिकट नहीं दिया। दोनों ही पार्टी से खफा हो चुके गुड्डू अब यह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में है। अब तो क्षेत्र की जनता भी कहने लगी है कि आलोट से गायब रहने वाले गुड्डू को चुनाव आते ही आलोट और आलोट और यहां की जनता याद आ जाती है।