भोपाल. इंदौर, भोपाल, उज्जैन समेत बड़े शहरों के शराब ठेकेदारों द्वारा 70% दुकानें सरेंडर करने के बाद सरकार 9 जून से इन्हें खुद चलाने पर विचार कर रही है। आबकारी विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेज दिया है। विभाग ने महिला-पुरुष निरीक्षकों की सूची भी तैयार की है। इन्हीं से शराब दुकानें चलवाई जाएंगी। यदि प्रस्ताव पर मुहर लगती है तो ऐसा पहली बार होगा, जब सरकार शहरी, आदिवासी क्षेत्रों में खुद ही शराब दुकानें संचालित करेगी।
उल्लेखनीय है कि जब मप्र से छत्तीसगढ़ अलग नहीं था, तब 1995 से 1998 तक शराब दुकानों में सब प्लान एरिया व्यवस्था रही है। नक्सल प्रभावित और आदिवासी बाहुल्य वाले धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बालाघाट, कांकेर, सरगुजा, दंतेवाड़ा, जगदलपुर जैसे जिलों में सरकारी कर्मचारी शराब दुकानें संचालित करते थे। इस दौरान 60 फीसदी दुकानें निजी ठेकेदार और 40 फीसदी दुकानें सरकार चलाती थी।
16 जिलों में दुकानें सरकार को सौंपी
हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद शुक्रवार को भोपाल, इंदौर, ग्वालियर समेत 16 जिलों के शराब ठेकेदारों ने दुकानों को छोड़ दिया है। शासन ने आबकारी नीति पर तत्काल निर्णय लेने के लिए गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में मंत्री समूह का गठन किया है।