कोरोना वायरस फैलने के बाद दक्षिण कोरिया से जापान पहुंचे लोगों को पृथक रखने की ''बेतुकी योजना" पर सियोल ने शुक्रवार (6 मार्च) को जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी। इसके बाद यह चिकित्सकीय मुद्दा राजनयिक गतिरोध में बदल गया है। दोनों देशों के बीच निकट आर्थिक संबंध हैं और दोनों अमेरिका के बड़े सहयोगी हैं।
लेकिन कोरियाई प्रायद्वीप पर 1910 से लेकर 1945 तक जापान के शासन के कारण दोनों के संबंध तनावपूर्ण रहते हैं। यह विवाद पिछले वर्ष सुरक्षा और व्यापार गतिरोध तक पहुंच गया था। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने बृहस्पतिवार (5 मार्च) को घोषणा की कि चीन या दक्षिण कोरिया से आए विदेशी लोगों को 14 दिन पृथक रखा जाना आवश्यक है।
इस कदम की घोषणा होने के बाद दक्षिण कोरिया के दो बड़े एयरलाइन कोरियन एयर और एशियाना ने शुक्रवार (6 मार्च) को जापान के लिए अपने अधिकतर उड़ानों को रद्द करने की घोषणा की और के-पॉप तथा सुपर जूनियर ने देश में अपने आगामी शो को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस के 6000 से अधिक मामले सामने आए हैं जो चीन के बाद सर्वाधिक है और दुनिया की 12वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश से आने वाले लोगों पर 60 से अधिक देशों ने या तो यात्रा प्रतिबंध लगाया है या उन्हें अलग रखे जाने की घोषणा की है।
सियोल ने इस पर अपना विरोध जताने के लिए जापान के राजदूत को तलब किया और विदेश मंत्री कांग क्यूंग व्हा ने उनसे कहा, ''इस बार जापान की कार्रवाई न केवल गैर दोस्ताना है बल्कि अवैज्ञानिक भी है।" उनके मंत्रालय ने टोक्यो पर खराब मंशा के आरोप लगाए और बयान जारी कर कहा, ''हम सहयोग नहीं कर सकते बल्कि सवाल कर सकते हैं कि क्या वायरस को रोकने के अलावा जापान की कुछ और मंशा है।"