ग्वालियर। नगर निगम ने नामांतरण के नाम पर लॉकडाउन में चुपके से 5 हजार रुपये का शुल्क बढ़ा दिया है। निगम ने यह मनमानी उस समय की है जबकि लॉकडाउन की वजह से सभी की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। ऐसे में केन्द्र और राज्य सरकार राहत देने की बात कर रही है। लेकिन निगम के अधिकारियों ने मनमाने ढंग से नामांतरण के नाम पर प्रति आवेदन पर 5 हजार रुपये का शुल्क बढ़ा कर आम आदमी की कमर ही तोड़ कर रख दी है।
निगमायुक्त ने इस प्रस्ताव को निगम प्रशासक को भी भेज दिया है और वहां से भी इसे मंजूरी दिला दी है। ऐसे में शहरवासियों को अब आर्थिक मंदी के इस दौर में भारी भरकम नुकसान उठाना पड़ेगा। उधर चेंबर ऑफ कॉमर्स ने निगम के शुल्क बढ़ाने का विरोध कर दिया है। इस संबंध में चेंबर ने संभागायुक्त को ज्ञापन भी सौंपा है।
नगर निगम में अभी तक सम्पत्ति के नामातरंण की जो व्यवस्था थी उसमें आवेदन करने पर 50 रुपये का शुल्क लगता था, मगर राजस्व अधिकारियों ने मनमाने ढंग से प्रस्ताव तैयार कर लिया जिसमें यह शर्त जोड़ दी गई कि आवेदक से 5 हजार रुपये विज्ञप्ति प्रकाशन के नाम पर भी लिये जायें। जिसमें नामांतरण के प्रकरण की विज्ञप्ति निगम द्वारा समाचार पत्र में प्रकाशित करवाई जायेगी। जिसमें यह स्पष्ट होगा कि किसी को अगर कोई आपत्ति हो तो वह 15 दिन के अंदर लिखित में आपत्ति दर्ज करा सकता है।
इस तरह नामांतरण में जो शुल्क 50 रुपये का लगता था निगम ने उसे 5 हजार रुपये और बढ़ाकर शहरवासियों पर आर्थिक बोझ ऐसे मुश्किल समय में बढ़ा दिया है। नामांतरण स्वीकृत होने पर बकाया सम्पति कर भी जमा कराना पड़ता है। इससे निगम की भारी आय होती है। नगर इसी बीच निगम ने चुपके से 5 हजार रुपये का अतिरिक्त शुल्क लगाकर शहरवासियों को आर्थिक रूप से परेशानी में डाल दिया है।
चेंबर ऑफ कॉमर्स के मानसेवी सचिव डॉ. प्रवीण अग्रवाल का कहना है कि निगम का यह प्रस्ताव गलत है। लॉकडाउन की वजह से शहर के लोगों की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब हो चुकी है। ऐसे में 5 हजार रुपये का अतिरिक्त शुल्क डालना उन पर आर्थिक बोझ होगा। इसे वापस करने के लिये चेंबर ने निगम प्रशासक संभागायुक्त एमबी ओझा को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई है और इसे वापस कराने की मांग की है।