दिल्ली | गैंगरेप के दोषी मुकेश द्वारा उसकी पूर्व वकील वृंदा ग्रोवर के खिलाफ दायर याचिका को सप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस मिश्रा ने कहा है कि याचिका पोषणीय नहीं है इसलिए इसे खारिज किया जाता है। बता दें कि छह मार्च को मुकेश के भाई सुरेश की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। सुरेश की ओर से वकील एम. एल. शर्मा ने याचिका दायर की। शर्मा का आरोप है कि इस मुकदमे में मुकेश के लिए कोर्ट द्वारा नियुक्त वकील वृंदा ग्रोवर ने उस पर दबाव डाल कर क्यूरेटिव याचिका दाखिल करवाई। शर्मा के मुताबिक, क्यूरेटिव पेटिशन दायर करने की समय सीमा तीन साल थी, जिसकी जानकारी मुकेश को नहीं दी गई। इसलिए मुकेश को नए सिरे से क्यूरेटिव याचिका और दया याचिका दाखिल करने का मौका दिया जाए।
गौरतलब है कि निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में फांसी की सजा पाने वाले चार दोषियों के परिवारवालों ने रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी। इच्छामृत्यु मांगने वालों में दोषियों के बुजुर्ग माता-पिता, भाई-बहन और उनके बच्चे शामिल हैं। दोषियों के परिवार ने हिन्दी में राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा है कि हम आपसे (राष्ट्रपति) और पीड़िता के माता-पिता से अनुरोध करते हैं कि वे हमारे अनुरोध को स्वीकार करें और हमें इच्छामृत्यु की अनुमति दें। भविष्य में होने वाले किसी भी अपराध को रोकें, ताकि निर्भया जैसी दूसरी घटना न हो और अदालत को एक व्यक्ति के स्थान पर पांच लोगों को फांसी ना दी जाए।
दोषियों के परिजनों ने कहा कि ऐसे कोई पाप नहीं हैं जिसे माफ नहीं किया जा सकता है। पत्र में आगे लिखा है कि हमारे देश में महापापी (महान पापी) को क्षमा कर रहे हैं। बदला की परिभाषा शाक्ति नहीं है। क्षमा करना शक्ति है। आपको बता दें कि नए डेथ वारंट के अनुसार, निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों विनय शर्मा, अक्षय सिंह ठाकुर, पवन गुप्ता और मुकेश को 20 मार्च सुबह साढ़े पांच बजे फांसी की सजा दी जानी है। अभी तक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सभी दोषियों की दया याचिका खारिज कर चुके हैं। हालांकि दोषी अक्षय सिंह ठाकुर ने नई दया याचिका दाखिल की है जिसमें उसने कहा है कि राष्ट्रपति ने जो पुरानी दया याचिका दाखिल की थी उसमें सारे फैक्ट मौजूद नहीं थे।