रतलाम। जिले के साथ शहर में लगातार बिगड़ती कानून व्यवस्था को देखते हुए डीआईजी और पुलिस अधीक्षक को सड़क पर उतरना पड़ रहा है। थानेदारों की नाकामी के चलते अब इन अधिकारियों को सड़के नापने के साथ संदिग्धों और गुंडे बदमाशों की धरपकड़ करना पड़ रही है। जब कि यह काम थानेदार और अधिनस्थ अमले का है, जो कि थानों में अंगड़ाई लेते रहते जिसके चलते शहर सहित जिलेभर में अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ने लगा है।
थानेदारों की नाकामी और चीता के नाम से फर्राटे दाल बाइक पर घूम कर हीरोगिरी दिखाने वाले पुलिसकर्मी अब भीगी बिल्ली बने नजर आ रहे हैं। मूछों को ताव देकर शहर में घूमने वाली पुलिस की हालत बहुत ही शर्मनाक होती जा रही है। गुंडे बदमाश बेखौफ होकर शहर में रंगदारी दिखाकर खुलेआम चाकू छुरी चला रहे हैं और पुलिस है कि घटना के बाद आमजन को घटनास्थल से डरा धमका कर भगा की नजर आती है दिख रही है।
शहर में परिवार के साथ चौपाटी सहित अन्य स्थानों पर आने वाले लोग भी बीते 3 दिनों से चल रही पुलिस की कार्रवाई को देख घबराने लगे हैं। अचानक से पुलिस कहीं भी पहुंच रही है और चौराहे पर खड़े लोगों को डंडे ठोक कर उनसे पूछताछ कर रही है जिसे देखकर गुंडे बदमाश तो भले ही न डरे लेकिन आमजन के मन में पुलिस का रोब दिखने लगा है।
रात के समय शहर की सड़कों पर उतर कर चेकिंग का जो काम डीआईजी और एसपी कर रहे हैं यही काम यदि थानेदार और थाने का पुलिस फोर्स करता तो इन लोगों को ऑफिस छोड़कर सड़कों पर नहीं आना पड़ता लेकिन अपने अधीनस्थों की नाकामी पर पर्दा डालने के लिए अब इन जिम्मेदारों को ही मैदान में कूदना पड़ा है।
बात करे शहर में मौजूद पुलिस अमले की तो वही पुराने चेहरे सालों से थानों पर पदस्थ हैं, फिर चाहे थानेदार हो या सिपाही। कभी कोई बदलता भी है तो शहर में एक थाने से हटकर दूसरे थाने पर चला जाता है लेकिन उसे गांव में जाना पसंद नहीं। कई लोग तो ऐसे हैं जो रतलाम से नौकरी पर लगे और आधी से ज्यादा नौकरी उनकी यही बीत गई। जब भी कहीं तबादला होता है तो कोई स्टे ले आता है तो कोई किसी बहाने से जाकर वापस आ जाता है। ऐसे लोगों की जब तक जिले से छुट्टी नहीं होगी तब तक इनसे बेहतर काम की उम्मीद करना सही नहीं होगा।