भोपाल. 8 जून से कई राज्यों में मंदिर और धार्मिक स्थल भी खुल जाएंगे लेकिन दर्शन करने की परंपराओं में काफी बदलाव आ जाएगा। कुछ राज्यों ने मंदिरों के लिए अलग से गाइडलाइंस भी जारी कर दी है, जिसमें दर्शनार्थियों की संख्या को सीमित करने, प्रसाद चढ़ाने और चरणामृत आदि ना देने के लिए कहा गया है। जिन मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्त आते हैं, जैसे तिरुपति बालाजी, वैष्णो देवी, शिर्डी सांई मंदिर आदि में दर्शनार्थियों की संख्या सीमित करने की सलाह भी दी है।
कुछ राज्यों में फिलहाल धार्मिक स्थल 1 जुलाई तक बंद ही रहेंगे। असम, मणिपुर, तमिलनाडु जैसे राज्यों ने अपने धार्मिक स्थलों को 30 जून तक बंद रखने का फैसला किया है। तमिलनाडु में 10 हजार से ज्यादा मंदिर हैं, इनमें से 8000 से ज्यादा छोटे मंदिर हैं। असम के गोवाहाटी में मौजूद कामाख्या शक्तिपीठ भी जुलाई में ही खुलेगा। असम सरकार ने फिलहाल जून में इसे बंद रखने का ही फैसला किया है। पुरी का जगन्नाथ मंदिर 8 जून से खुल सकता है लेकिन उसमें भी दर्शन जून अंत से ही शुरू होंगे।
- मंदिर में प्रवेश से बाहर निकलने तक 10 बड़े बदलाव...
- हाथ-पैर धोने पर रोक लग सकती है या कुछ अलग व्यवस्था हो सकती है।
- कतार में लगने वाली बैरिकैडिंग की व्यवस्थाएं भी बदलेंगी। रस्सियों या प्लास्टिक के डिवाइडर जो कम हाइट के हों, लगाए जाएंगे ताकि लोग उन्हें छुए नहीं।
- श्रद्धालुओं को बड़े ग्रुप्स में इंट्री नहीं दी जाएगी। छोटे-छोटे समूहों में ही मंदिर में जा सकेंगे।
- मंदिर में घंटियां हटाई जाएंगी। ताकि हर कोई इसे बजाने के लिए ना छुए।
- श्रद्धालुओं द्वारा लाए गए हार-फूल और प्रसाद पर रोक लग सकती है।
- पुजारियों की सुरक्षा के लिए चरणामृत और प्रसाद वितरण रोका जा सकता है क्योंकि उन्हें भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।
- गर्भगृहों में प्रवेश रोका जा सकता है, क्योंकि वहां जगह कम होती है और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो सकता।
- अन्न प्रसाद व्यवस्थाओं को भी बदला जाएगा या कुछ समय के लिए बंद रखा जाएगा।
- कर्मचारियों और पुजारियों का नियमित हेल्थ चेकअप होगा।
- दिन में कम से कम 3 से 4 बार सैनेटाइज किया जाएगा।
- बांकेबिहारी मंदिर, मथुरा
उत्तर प्रदेश सरकार ने मंदिरों को खोलने को लेकर कोई गाइड लाइन जारी नहीं की है। फिलहाल मंदिर में प्रवेश बंद हैं, भगवान की सेवाएं जारी हैं। सरकार से 8 जून के पहले गाइड लाइन मिलने की उम्मीद है। हालांकि, मथुरा और वृंदावन में रास्ते संकरे हैं, इससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना एक बड़ा चैलेंज होगा। मंदिर को अभी रोज सेनेटाइज किया जा रहा है।
- तिरुपति में 10 से 15 हजार लोग रोज कर सकेंगे दर्शन
लॉकडाउन के पहले यहां रोज 80 हजार से 1 लाख तक दर्शनार्थी आते थे लेकिन अब 10 से 15 हजार श्रद्धालुओं से ज्यादा को दर्शन नहीं हो पाएंगे। श्रद्धालुओं को टाइम स्लॉट के हिसाब से दर्शन का समय पहले ही दिया जाएगा। संभवतः इसके लिए एक दिन पहले ही बुकिंग होगी। हर एक ये डेढ़ घंटे के स्लॉट के बाद मंदिर को सैनेटाइज किया जाएगा। इसके बाद ही अगले स्लॉट में दर्शन कराने की व्यवस्था होगी। एक स्लॉट में अधिकतम 500 लोग हो सकते हैं।
- शिर्डी साईं मंदिर, महाराष्ट्र
शिर्डी साईं मंदिर महाराष्ट्र में भी मंदिर खोलने को लेकर सुगबुगाहट है लेकिन अभी राज्य सरकार की गाइड लाइन का इंतजार किया जा रहा है। यहां भी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ दर्शन व्यवस्था रहेगी। मंदिर परिसर के सैनेटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग का खास ध्यान रखा जाएगा। यहां भी रोजाना 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। लेकिन, अब इस संख्या को कुछ दिनों के लिए नियंत्रित किया जाएगा। प्रतिघंटे कितने लोग दर्शन कर सकेंगे इस पर विचार किया जा रहा है।
वैष्णोदेवी मंदिर के भी 8 जून से खुलने की तैयारी शुरू हो गई है। यहां यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहां मिलने वाली घोड़े और पिट्ठु की सेवाओं पर भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। ऐसी सेवाएं देने वाले लोगों का भी कोरोना टेस्ट किया जा रहा है। वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड शुरुआत में करीब 450 घोड़ों की सेवा ले सकता है। इसके लिए हर तरह से इनका टेस्ट किया जा रहा है। यहां भी श्रद्धालुओं की संख्या पर नियंत्रण रखा जाएगा। कोरोना से पहले यहां रोजाना 60 हजार से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन के लिए आते थे लेकिन अब इस संख्या को काफी नियंत्रित किया जाएगा।
काशी डिप्टी कलेक्टर विनोद कुमार सिंह का कहना है कि 8 जून को लेकर हमारी तैयारियां चल रही हैं। लेकिन, अभी सरकार की तरफ से जब तक कोई गाइडलाइन नहीं जारी होती है। लॉकडाउन के दौरान मंदिर में अर्चकों द्वारा पूजा अर्चना तो चल ही रही थी। लेकिन, भक्तों को आना है तो एक गाइडलाइन जरूरी है। सभी इंट्री पाइंट पर श्रद्धालुओं के हाथों को सेनेटाइज करवाएंगे। सभी को मास्क लगाकर ही प्रवेश मिलेगा और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।
राम जन्मभूमि मंदिर मे दर्शन की व्यवस्था सुरक्षा मानकों के तहत की जाएगी। ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने बताया की सुरक्षा के मानकों के साथ शासन व जिला प्रशासन से जो भी गाइडलाइन आएगी, इसका कड़ाई से पालन करवाया जाएगा। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि दर्शनार्थियों को रामलला के दर्शन के दौरान किसी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े।
जगन्नाथ मंदिर भी 8 जून से खुलने के संकेत हैं लेकिन यहां भगवान के दर्शन जून अंत में ही हो पाएंगे। 5 जून को पूर्णिमा स्नान उत्सव है, इसके बाद भगवान बीमार होकर क्वारेंटाइन हो जाएंगे। फिर, सीधे रथयात्रा वाले दिन यानी 23 जून को ही बाहर निकलेंगे। रथयात्रा के साथ वे मौसी के घर जाएंगे। जहां से नौ दिन बाद लौटेंगे। इस तरह पुरी मंदिर में जून अंत तक ही दर्शन शुरू हो पाने की संभावना है।
तेलंगाना में यदाद्री लक्ष्मी-नृसिंह मंदिर में रोजाना लगभग 25 हजार श्रद्धालु आते हैं। लॉकडाउन खुलने के बाद अब इस संख्या 5 हजार तक लाया जाएगा। एक घंटे में 200 से ज्यादा लोगों को दर्शन की अनुमति नहीं होगी। श्रद्धालुओं के लिए हैंड सैनेटाइजर और मास्क अनिवार्य होगा। यहां बाहरी प्रसाद और चढ़ावे पर भी रोक रह सकती है।
मदुरै का मीनाक्षी मंदिर 30 जून के बाद ही खुलेगा। तमिलनाडु सरकार ने यहां लॉकडाउन 30 जून तक बढ़ा दिया है। मीनाक्षी मंदिर में एक दिन 15000 से ज्यादा दर्शनार्थी आते हैं। लेकिन, अब इस संख्या को कम किया जा सकता है। एक घंटे में अधिकतम 200 लोगों को प्रवेश दिए जाने पर योजना बनाई जा रही है।
प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर भी 8 जून से खुल जाएगा। आम दिनों में लगभग 15 हजार भक्त यहां दर्शन के लिए आते थे। मंदिर के मैनेजर विजयसिंह चावड़ा के मुताबिक सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क आदि अनिवार्य किया गया है। दर्शनार्थी घंटियां नहीं बजा सकेंगे, अभिषेक और पूजन भी कर सकेंगे। पुजारी किसी को नहीं छुएंगे, ना ही दर्शनार्थियों को कुछ छूने की अनुमति होगी। बाहर से कुछ सामान लाने की इजाजत नहीं होगी। दीपक भी नहीं जला सकेंगे।
डाकोर के प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर रणछोड़राय के प्रबंधक अरविंदभाई मेहता के मुताबिक 8 जून से हर आने वाले श्रद्धालु का टैम्परेचर टेस्ट होने के बाद ही प्रवेश मिलेगा। परिक्रमा मार्ग सभी के लिए बंद होगा। तय समय में एक निश्चित संख्या में ही श्रद्धालुओं को दर्शन कराए जाएंगे।
गुजरात के शक्तिपीठ अंबाजी में भी बाहरी प्रसाद लाने पर रोक लगाई जाएगी। श्रद्धालुओं को बिना प्रसाद और चढ़ावे के ही दर्शन करने होंगे। मंदिर में निश्चित दूरी पर ही श्रद्धालुओं को कतार में लगना होगा।